पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/२३४

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१९८
मिश्रबंधु-विनोंद

निबंधु-चिनोद | मरज ब्रज शोभा नाश्मेशं . सरोजे , : |.. . चरण कमल हस्ती लीलया जहंसः । । । नु आदि जथं स्वयंभू-स्वार्थ ; नहीं मात ताई न को अरि बश्ते के बेटा ये फैष चंद्र भलं । ऊरं हार उद्दारयं झुद्ध मा। अवलं असचं. पन्धत पाऊँ । झलं कल टं करं स्कुल सञ्च र अंथ भृद्ध दम्भू श्रेयं ; बुद्ध धर्ट उग्रस झालं अनोछ । की चर्म में हरी परे कानं । बृष वाहूनं बास क्लास था। अम अंय यःमें सुकाम पुरयं । सिहं ई चैनं त्रयं पंच मुहं । इसे संभवा’ अवकय पर्छ । बम रुद्रयायं बरथ साथ। का पत्तथे लिये मुरझाए । ऋगर्दै महादेव को ..वा । | नैव दुष्य ने सुष्य साहस नै मैंद न आलं कृतं . .. *वां मात पिता न चैत्र धनयं नैवां न केल्ली ते नैवां नं हित मित्त साजन नैषां नः किं रुक्ष्य .:. संकं देवं अः क देव मरनं यं जयं रथं । तिले वारि सुकंग सुहां गय चहि निसाचर ... का थुिख म य र पन्नों अदलबर ३ । ॐ सात सय / रे अनि बार विहारह १, । रिष हृरिक मुहू नयै सोर सुनि अाए निहारह। दिछि प्रबत्न रिम्प पुछियो प्रसन कवन रूप क्रीले सुजल }::: . : दिसि मछि अद्ध इसि बचढ़ शह पर पुबह सकल * - : "... सिंग जुनिपुर हरित तंट अचक्न उदक सुन्य है. ::: ":...तर्हे इक सास तुष तपत ताली ब्रह्म लगाया है ..... | रुल्ली पुङ्ग्यि ब्रह्म दिषि इक असुर अदभ्भुत है : . . ..... नि..पुलिस ताह कब कारन इद अंगम ।। इंधन दान कुछ लङ्गम क्लवन, दिछि क्रीय सुजेम्म ।