पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/२२७

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यह काळ महिय% औरै दुः खैरै संसार । इक इस मंत्र तो कुछ किन छ । बार हीन्द छुव सत्य युद्ध कुछ घर यः । । जिंद से त्रु थि इङ महिए इस ; झिल मंत्र झुरि एह मंत्र का जन्वत । छ छंश छ अब अहित इकाइ लंबु शूर ; दुई अर सब इद्र दान परमार है। अरु निकलवा सूर भड़े सिंक सुरु के काय ! र अब्ध आइ ई स अड इके अन्दर हैं: वह थवा अन्य छन्द मुहर समस्या हु इक्क पित्त । पैन्य अरमेट मंत्री होछा इंजय ' अप्ठ है। स्वान्टु ः पुत्र { ४ } म्याङद भी हिंदी का कृधि था । इसका सस्य संवत् ६१८० के दुलर अमरूद शाहे । | १५ | कुवुअञ्च में हिंदी- ॐ अन्हथुर के हाही सक्री सिद्धराज जयसिंह देई के इस विषय का छंदोबद्ध प्रार्थना- छ दिम था कि डोज ने उझक सवाजेद के हाजी } महाराज मैं रजिड झिइ ब्यबर दी। इन लहाङ राजद-काळ ११० ॐ १२८० फूल रहः । कुलः वा अभक्ष इस कार को सुन चाहि । ६ } सईदन मञ्च | दीद; } कलुबा ने की ११ ३ ३ ॐ महसमझ ध १६ ! खेदों में इसका नाम संव- | ta } अकरम झैज ढह माहृय-निवस्त्र नै संवद् ६३०५ हे ॥२५६ पक बदन्नन्द काय * रन और कृक्षरकर' कहे अनु- चाई इन्कार । इसके अति महा माधवसिंह जयपुर-नस् थे । इस्ह कवि का जन्म-क्राले संवत् ११३ सुनने में आया है । इमारे पक्ष में ( * } चंदबरदाई ने $२२५ संवत् से १२४६ कुछ