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मिश्रबंधु-विनोंद

सिंक्रबंधु-विनोंद सगे इन इह के अलादीन दारं लं, । पञई र सॐ नहा बन* इन में अजीत है न की सहाय ४ मा ॐ वलि ॐ अलि ऋाहे 'नमीझन जति है । इल ः बरसइति ॐ, असहि ऐप न झ३ लखति हैं । । ॐ परिवर्तनकाल हिंदी ( १८६०-२६२५ ।। | अद् ३०० } . दिन घर जिस्कें झसङ्सर बारी है हर राशन इन गल्ल की जारी है। होर जुल्फ़ जाना में लटका है। द्धी हैं लिंदा जिल पर नागिन काली हैं। | द्विद्भत्र हाइ अनलह {१३०७) सुधे समीर ॐ अरदार मचिंदन में मनसाफलदायक ; किंमुझे ज्ञान में अक्षम मानिनी बान टू को मनायॐ ।। कूल कंत अनंत छह को दीनन के मन में सुखड़ा ! चा अबो३ नं . साङ सु ावत अञ्ज इनै ऋतुला । अँग्रन्दर में लक्ष घर्न बैंगनः छैन्श पहिये ३ लिन * ; इश्चराइ विल न्द्रज ॐ ॐ ४ ३ बधाई मुलाय लोखिन है । ३ हैदशैं ८ ॐ विधि दिन आजु अतिनी करे ।।

  • * * ३३ अन भई पछि झा र पोलिन ।

7 ह । १६१६

  • ॐ दुर 5 ॐ भ ितहँ केदिक लि नैं ना ?

भारा ॐ ॐ ३ ३ ३ सूचिकादि के अँधिया ।