पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/१९१

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सहि सिंड्रल-श्कर। प्रायः बन्दे विहा से क्लियर हैं । शक्ल अश्रुधारा में होने अपने छत्र ॐ कात्विक को बहुत अंश ॐ ४ दियः छै । भदद ॐ म ने अपने अन्ह से वादपि अखि मृदूनि कुइ ॐ ऋतु अया है ? | ब्रास ( य लेख) | ॐ भद्र साहू के साथ छा ए थे, र विराट के लय ॐ अनार f; हैं : दें दो-दड़ के सुहान है, और इन इन्हें ही अपनी और अन्ना है । इन उपर्युक्र उदार है झझि फ्इॐ ॐ हिँदी- भय, ॐ । इजमाया # प्रदा नहीं होता था, परंतु मङ्कामा रहेराथ के पुत्र में प्रसाफ में ऐसी छ। प्राप्त कर दिया था कि उन्होंने पूर्वीडशहनवासी होने पर भी गई में इस सम्मान किया, यद्ययि गृह्य में ऐसा नहीं किया, जैसा कि आ ज्ञात बद । इस समय से संतु, १६८० शुक्र रंगभट को छोड़ 5 में सछ जति लैन्हा ने प्रायः इर्छ। राषद के प्रयोग किया, परंतु इस संक्त में जमल ने यजभाषा में खड़ी बोलें। बहुत मिला दीं, अल तळ किं उसके केस में हड़ी धन्य हैं। हुलसीदास क्षेत्र सुधार होचल-मात्र का उल्लाहुए है, न कि काब्य र } देव ने शुद्ध त्रलाई लि, परंतु इक है उस्में न वेळ । ॐ कुछ शब्द मिश्र, कुक्कू ने उन्हें पढ़ाया र सदुद्ध हिंने इस वृद्धि की आर सी उद्धि की, परंतु सरद्वार में फिर भी शुद्ध ब्रजभाषा को अशोर किया। पहले इद्ध राजा शिवप्रसाद ने भारत में प्रायः बिलकुल ड़ दिंड और आज लक्ष्मज; सिंह, स्थाई मुद्यान्नंद्र अढ़ेि ने इसी ति छ अारा । भारतेंदु से