पृष्ठ:मानसिक शक्ति.djvu/७

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मन का वशीकरण।
 


मिलने की कोई आशा है। शीघ्रता करने से काम खराब हो जाता है और काम खराब करने से तो यही अच्छा है कि काम को धीरे धीरे करो और सफलता पूर्वक करो। इसलिए पहले पहल अधिक करने की कभी कोशिश मत करो और न विचार ही विचार में समय नष्ट करो नहीं तो मन उसकी ओर न लगाने से थक जाएगा और फिर वह उस उत्तम कार्य के योग्य भी न रहेगा जो तुम्हारे सामने उपस्थित है। जो मनुष्य अपनी मानसिक शक्तियों को अपने आधीन नहीं कर पाया है वह वास्तव में मनुष्य कहलाने योग्य नहीं।

इसके अभ्यास करने का सबसे अच्छा ढंग यह है कि यदि हो सके तो प्रातःकाल कुछ समय नियत करलो और उसी समय मन को स्थिर करना प्रारम्भ करो पहले पहल केवल दस ही मिनट सही तत्पश्चात बीस मिनट तक। जब एक या दो सप्ताह हो जावें तो समय को बढ़ा लो और आध घण्टे तक ध्यान किया करो और इसी प्रकार मन एकाग्र करने का अभ्यास बढ़ाते जाओ।

मैं समझता हूं कि यह बहुत अच्छा होगा कि एक शब्द लो और उसी पर मन स्थिर करो। उदाहरणार्थ 'सहानुभूति' शब्द लीजिए। 'सहानुभूति' की सुन्दरता पर विचार करो, इसमें दूसरों को सुखी करने की कितनी शक्ति अव्यक्त है। किस प्रकार और कब वह दूसरों के साथ की जा सकती है। इसके भेद प्रभेद पर सब प्रकार से विचार करो। सम्भव है कि ऐसा करते समय तुम्हारा मन किसी अन्य बात की ओर