जब इच्छा पूर्ण होने से अधिक शक्ति और लाभ पहुंचाने के सम्भावना के अवसर हाथ लगेंगे तो हम संसार का सुख और शान्ति पहुँचाने में उनको काम में लावैंगे और अपने जीवन को उत्कृष्ट और उत्तम बनाने में और ईश्वर की स्तुति में लगावेंगे।
संसार में ऐसा कोई अवसर नहीं है, न भाग्य है और न कोई दैव ही है जो दृढ़ प्रतिज्ञ मनुष्य के इरादे को रोक सके मांगना कुछ नहीं केवल दृढ़ प्रतिज्ञ होना चाहिये ऐसी प्रतिक्षा के सामने सब प्रकार की विघ्न बाधायें समय पर हट जाती हैं। कौन से बड़े बड़े रोड़े समुद्र में गिरनेवाली नदी की शक्ति को रोक सकते हैं? दिन के चक्र को कौन रोकने में समर्थ है? इसी प्रकार अच्छी अत्मायें अपनी आशाओं में अवश्य सफलीभूत होती हैं दृढ़ प्रतिज्ञ मनुष्य की इच्छा को कोई भी वस्तु नहीं रोक सकती। वह जो कुछ चाहता है अवश्य प्राप्त कर लेता है परन्तु मूर्ख मनुष्य भाग्य का दोष दिया करते हैं। वही मनुष्य बड़ा भाग्यवान है जिसकी सदृ इच्छा कभी रुकती नहीं, जिसका छोटे से छोटा काम अभीष्ट के साथ में लगा रहता है। दृढ़ प्रतिज्ञ के सामने यम को भी थोड़ी देर ठहरना पड़ता है।
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