पृष्ठ:मानसिक शक्ति.djvu/१७

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३.––विचार शक्ति जादू है।

संसार में सब से बड़ी शक्ति जहां तक मनुष्य का सम्बंध है विचार शक्ति है। विचार के कारण ही मनुष्य श्रेष्ठ बन जाता है और इसी के कारण वह नीच और अर्धम हो जाता है। मनुष्य ऐसा ख्याल करता हैं कि उनकी उन्नति और अपने साथियों से आदर व सत्कार किसी शक्तिवान व्यक्ति की कृपा से या परस्थितियों के द्वारा प्राप्त होता है परंतु ऐसा नहीं है। जो ऐसा ख्याल करते हैं यह उनकी बड़ी भारी भूल है। जैसे मनुष्य अपने विचार प्रकट करता है उसी के अनुसार उसकी उन्नति या अवनति देखी जाती है और उसी के अनुसार उसमें आत्मबल पाया जाता है।

"मनुष्य अपने विचारों का फल है" इस बात को महर्षियों ने, कई युग हुए, कह दिया था; परंतु बड़ा ही अचरज है कि इतना भारी समय बीत गया; परंतु इस विचित्र सत्यता का पता बहुधा मनुष्यों को नहीं लगा। हम ने विचित्र इसको इस लिए कहा है कि इसका सम्पूर्ण अर्थ विचित्र है मनुष्य

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