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मन का वशीकरण ।
 


करने से मत झिझको। याद रखो आदर्श तक पहुंचना अपने आपको मालूम करना है जो कुछ हम हैं इस अवस्था से उस दर्जे पर जाना है जैसे कि हम होना चाहते हैं। आत्मा में किसी वस्तु के प्राप्त करने की इच्छा को अभिलाषा कहते हैं हाथों का फैलाना किसी उत्तम और उच्च वस्तु के प्राप्त करने की इच्छा को दर्शाता है। क्योंकि जब दृष्टि आदर्श पर नहीं होती है तो मनुष्य नाश को प्राप्त होता है।

जब हमें आत्म-परीक्षा से यह बात ज्ञात हो जाए कि हम क्या है और कहां हैं तो फिर हमें अपने आदर्श को स्थिर कर लेना चाहिए और उसको अपने सामने रखकर एकाग्र मन से उसकी ओर ध्यान लगाना चाहिए। यदि हम इस प्रकार नित्य प्रति करते रहेंगे तो अवश्य ही अपने आदर्श के सदृश हो जाएँगे, यही हमारी कोशिशों का प्रतिफल होगा।