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मानसरोवर

'दिल मे जली जाती हो ।'

'मेरी बला जले।

'रो दो जरा।'

'तुम खुद रोओ, मेरा अंगूठा रोये।'

'मुझे उन्होंने एक रिस्टवाच भेंट दी है, दिखाऊँ ?'

'मुबारक हो, मेरी आँखों का सनीचर न दूर होगा।'

'मैं कहती हूँ, तुम इतनी जलती क्यो हो ?'

'अगर मैं तुझसे जलती है, तो मेरी आँखें पट्टम हो जायें ।'

'तुम जितनी ही जलोगी, मैं उतनी ही जलाऊँगी।'

'मैं जलूगी ही नहीं ।

'जल रही हो साफ।'

'कब सन्देश आयेगा ?'

'जल मरो।'

'पहले तेरी भाँवरें देख लें।

'भाँवरों की चाट तुम्हींको रहती है।'

'अच्छा । तो क्या बिना भांवरो का ब्याह होगा?'

'यह ढकोसले तुम्हे मुबारक रहे, मेरे लिए प्रेम काफी है।'

'तो क्या तू सचमुच :......"

'मैं किसीसे नहीं डरती।'

'यहाँ तक नौवत पहुँच गई ! और तू कह रही थी, मैंने उसे पत्र नहीं लिखा और कसमें खा रही थी।

'क्यों अपने दिल का हाल बतलाऊँ?'

'मैं तो तुमसे पूछती न थी , मगर तू आप-ही-आप बक चली।'

'तुम मुसकिराई क्यों ?

'इसलिए कि वह शैतान तुम्हारे साथ भी वही दग्गा करेगा, जो उसने मेरे साथ किया और फिर तुम्हारे विषय में भी वैसी ही बातें कहता फिरेगा। और फिर तुम भी मेरी तरह उसके नाम को रोओगी।'

'तुमसे उन्हें प्रेम नहीं था ?'