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मानसरोवर


घातक है। अगर हमे सभ्य बनना है, तो सभ्य देशों के पद-चिन्हों पर चलना पड़ेगा। धर्म के ठीकेदार चिल्ल-पो मचायेगे, कोई परवाह नहीं। उनकी खबर लेना आप दोनों महिलाओं का काम होगा। ऐसा बनाना कि मुंह न दिखा सकें।

लेडी ऐयर-पेशगी धन्यवाद देती हूँ। ( हाथ मिलाकर चली जाती है।)

मीसेज़ बोस-(खिड़की के पास से आकर ) आज इसके घर में घी का चिराग जलेगा । यहाँ से सीधे बोस के पास गई होगी। मैं भी जाती हूँ।

(चली जाती है।)

कानूनी कुमार एक कानून की किताब उठाकर उसमे तलाक की व्यवस्था देखने लगता है, कि मि आचार्या आते हैं । मुंह साफ, एक आंख पर ऐनक, खाकी आधे बांह का शर्ट, निकर, ऊनी मोजे, लम्बे बूट। पीछे एक छोटा टेरियर कुत्ता भी है।

कानूनी-हल्लो मि० आचार्य, आप खूब आये, आज किधर की सैर हो रही है ? होटल का क्या हाल है ?

आचार्या-कुत्ते की मौत मर रहा है। इतना बढिया भोजन, इतना साफ-सुथरा मकान, ऐसी रोशनी, इतना आराम, फिर भी मेहमानों का दुर्भिक्ष । समझ मे नहीं आता, अब कितना निर्ख घटाऊँ। इन दामों अलग घर मे मोटा खाना भी नसीब नहीं हो सकता। उस पर सारे ज़माने की झंझट, कभी नौकर का रोना, कभी दूध वाले का रोना, कभी धोबी का रोना, कभी मेहतर का रोना ; यहां सारे जंजाल से मुक्ति हो जाती है। फिर भी आधे कमरे खाली पड़े हैं।

कानूनी- यह तो आपने बुरी खबर सुनाई ।

आचार्या-पच्छिम में क्यो इतना सुख और शान्ति है, क्यों इतना प्रकाश और धन है, क्यों इतनी स्वाधीनता और बल है। इन्हीं होटलो के प्रसाद से ! होटल पश्चिमी गौरव का मुख्य अंग है, पश्चिमी सभ्यता का प्राण है , अगर आप भारत को उन्नति के शिखर पर देखना चाहते हैं, तो होटल जीवन का प्रचार कीजिए। इसके सिवाय दूसरा उपाय नहीं है। जब तक छोटी-छोटी घरेलू चिन्ताओ से मुक्त न हो जायेंगे, आप उन्नति कर ही नहीं सकते। राजा, रईसो को अलग घरो मे रहने दीजिए, वह एक की जगह दस खर्च कर सकते हैं। मध्यम श्रेणीवालों के लिए होटल के प्रचार में हो सब कुछ है। हम अपने सारे मेहमानों की फिक्र अपने सिर