पृष्ठ:मानसरोवर २.pdf/११७

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
११६
मानसरोवर

जेनी ने कठोर परिहास के साथ कहा-मेरा खयाल था कि दुनिया में ऐसो औरत पैदा ही नहीं हुई, जो तुम्हे उन्मत्त कर सकती। तुम उन्मत्त बनाना चाहते हो, उन्मत्त बनना नहीं चाहते।

कावर्ड-तुम बड़ा अत्याचार करती हो जेनी !

जेनी-अपने उन्माद का प्रमाण देना चाहते हो?

कावर्ड --हृदय से, जेनी ! मैं उस अवसर की ताक में बैठा हूँ।

उसी दिन शाम को जेनी ने मनहर से कहा- तुम्हारे सौभाग्य पर बधाई । तुम्हें वह जगह मिल गई।

मनहर उछलकर बोला-सच । सेक्रेटरी से कोई बातचीत हुई थी ?

जेनी-सेक्रेटरी से कुछ कहने की ज़रूरत ही न पड़ी। सब कुछ कावर्ड के हाथ मे है । मैंने उसी को चग पर चढाया । लगा मुझसे इश्क जताने । पचास साल की तो उम्र है, चाँद के बाल झड़ गये हैं, गालो पर झुर्रियां पड़ गई हैं, पर अभी तक आपको इश्क का खब्त है। आप अपने को एक ही रसिया समझते हैं। उसके बूढ चोचले बहुत बुरे मालम होते थे , मगर तुम्हारे लिए सब कुछ सहना पड़ा। खैर मेहनत सुफल हो गई । कल तुम्हे परवाना मिल जायगा। अब सफर की तैयारी करनी चाहिए।

मनहर ने गद्गद होकर कहा-तुमने मुझ पर बड़ा एहसान किया है जेनी ।

( ३ )

मनहर को गुप्तचर विभाग मे ऊँचा पद मिला। देश के राष्ट्रीय पत्रों ने उसकी तारीफो के पुल बाँधे, उसकी तस्वीर छापी और राष्ट्र की ओर से उसे बधाई दी। वह पहला भारतीय था, जिसे यह ऊँचा पद प्रदान किया गया था। ब्रिटिश सरकार ने सिद्ध कर दिया था कि उसकी न्यायवुद्धि जातीय अभिमान और द्वेष से उच्चतर है।

मनहर और जेनी का विवाह इग्लैण्ड में ही हो गया। हनीमून का महीना फ्रांस मे गुजरा । वहाँ से दोनों हिन्दुस्तान आये । मनहर का दफ्तर बम्बई मे था । वहीं दोनो एक होटल में रहने लगे। मनहर को गुप्त अभियोगों की खोज के लिए अक्सर दोरे करने पड़ते थे। कभी काश्मीर, कभी मदरास, कभी रगून । जेली इन यात्राओं मे बरा- बर उसके साथ रहती । नित्य नये दृश्य थे, नये विनोद, नये उल्लास । उसको नवीनता- प्रिय प्रकृति के लिए आनन्द का इससे अच्छा और क्या सामान हो सकता था।