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ईदगाह


मोहसिन---अच्छा, अवको ज़रूर देंगे हामिद, अल्ला कसम ले जा।

हामिद---रखे रहौ। क्या मेरे पास पैसे नहीं हैं ?

सम्मी--- तीन ही पैसे तो हैं। तोन पैसे में क्या-क्या लोगे ?

महमूद---हमसे गुलाब जामुन ले जाव हामिद। मोहसिन बदमाश है।

हामिद---मिठाई कौन बड़ो नेमत है। किताब में इसकी कितनी बुराइयाँ लिखीं हैं।

मोहसिंन--–लेकिन दिल में कह रहे होगे कि मिले तो खा लें। अपने पैसे क्यों नहीं निकालते ?

महमूद--हम समझते हैं, इसकी चालाको। जद हमारे सारे पैसे खर्च हो जायेंगे, तो इमें ललचाललचाकर खायेगा।

मिठाइयों के बाद कुछ दूकानें लोहे को चोज को। कुछ गिलट और कुछ नकल नहीं की। लड़कों के लिए यहाँ कोई आकर्षण न था । वह सब आगे बढ़ जाते हैं । हामिद लोहे की दूकाने पर रुक जाता है। कई चिमटे रखे हुए थे। उसे खयाल आया, दादी के पास चिमठा नहीं है। तवे ३ रोटियाँ उतारतो हैं, तो हाध जल जाता है। अगर वह चिमटा ले कर दादो को दे दे, तो वह कितनो प्रसन्न होंगी फिर उनकी उँगलियाँ कभी न जलेंगी। घर में एक काम की चीज़ हो जायेगी। खिलौने से क्या फायदा। व्यर्थ में पैसे खराब होते हैं। जरा देर हो तो खुश होती है। फिर तो खिलौने को कोई अाँख उठाकर नहीं देखतः। या तो घर पहुँचतेपहुँचते ट-फूट बाबर हो जायेंगे। चिमटा कितने काम को चीज़ है। रोटियाँ तवे से उतार लो चूल्हे में सेंक लो । फौई आग माँगने आये तो चटपट चूल्हे से आग निकालसर उसे दे दो । अम्म बेचारो को कहाँ फुरसत है कि आजार आयें, और इतने पैसे ही कहाँ मिलते हैं। रोज़ हाथ जला लेती हैं। हामिद के साथ आगे बढ़ गये हैं। सबील पर सब-के-सब शर्बत पी रहे हैं। देखो, सब कितने लालची हैं। इतनी मिठाइयाँ लों, मुझे किसी ने एक भो न दी। उस पर कहते हैं, मेरे साथ खेलौ। मेरा यह काम करो। अप अगर किसी ने कोई काम करने को कहा तो यूछेगा। खायें मिठाइयाँ, आप मुंह सई, फोड़े-फुन्सियाँ निकलेंगी, आप ही ज़बान चटोरी हो जायगी। तो घर से पै३ चुरायेंगे और मर खायेंगे। किताब में झूठ बातें थोड़े हो लिवो है। मेरो जवान क्यों खराब होगी। अम्माँ चिमूटा देखते ही दौड़