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दिल की रानी


न बजे? पण्टे को आवास में कुम नहीं है। सुनता है बाज़ात ! घण्टे को आवाज में कुम नहीं हैं। काफिर वह है, जो दूसरों का हक छीन ले, जो गरीबों को सताये, दयावान हो, खुदगरज हो। काफ़िर वह नहों, जो मिट्टो या पत्थर के टुकड़े में खुदा का नूर देखता हो, जो नदियों और पहाड़ों में, दरख्तों और झाड़ियों में खुदा का जलवा पाता है। वह हमसे और तुमसे ज्यादा खुदापरस्त है, जो मस्जिद में खुदा को बन्द सम- झते हैं। तू समझता है मैं कुफ बक रहा हूँ ? किसी को काफिर सय सना हो कुम है। हम सर खुदा के बन्दे हैं, सब। बजा और उन पायो मुसलमानों से कह दे, अगर फौरन मुहासरा न उठा लिया गया, तो तैमूर कयामत को तरह आ पहुंचेगा।

कासिद इत्त-बुद्धि सा खड़ा हो या हिवाहर खतरे का बिगुल बज उठा और शोजें किसो समर-यात्रा की तैयारी करने लगीं।

(९)

तीसरे दिन तैमूर इस्तखर पहुंचा, तो हिले का मुहासरा उठ चुका था। किले को तोपों ने उसका स्वागत किया। हबीब ने सममा तैमूर ईसाइयों को सजा देने मा रहा है। ईसाइयों के हाथ-पांव इले हुए थे, मगर हबोन मुकाबले के लिए तैयार था। ईसाइयों को स्वत्ल को रक्षा में यदि उसको जान भी माय, तो कोई गम नहीं। इस मुआमले पर किसी तरह का समझौता नहीं हो सकता । तैमूर अगर तनार से काम लेना चाहता है, तो उसका जवाम तकवार से दिया जायगा।

मगर यह क्या बात है। शाही फौज सुफेद झण्डा दिखा रही है। तेमूर लाने नहीं सुलह करने आया है। उपका स्वागत दुसरो तरह का होगा। ईसाई सरदारों को साथ लिए हपोच किले से बाहर निकला। तैमर अकेला घोड़े पर सवार चला आ रहा था। हबीब घोड़े के उतरकर आदाव बमा लाया। तैमूर भो छोड़े से उतर पड़ा और होम का माया चूम लिया और बोला-मैं सब सुन चुका हूं हयोग ! तुमने बहुत अच्छा किया और वहीं किया जो तुम्हारे सिवा दूसरा नहीं कर सकता था। मुझे जजिया लेने का या ईसाइयों के मजो हक छीनने का कोई मजाज न था। मैं भान दरबार करके इन बातों को तसदीक कर दंगा और ता में एक ऐसो तमोर करूँगा, जो कई दिन से मेरे जेहन में भा रही है और मुझे उम्मोद है कि तुम उसे मजूर पर लोगे। मजूर करना पड़ेगा।