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२५० मानसरोवर है, यथाशक्ति किसी को धोखा नहीं देता। इन रुपयों को मैं तब तक अपने पास नहीं रखूगी, जब तक उमापति का कोई पत्र न आ जायगा कि क्यों रुपये मेजने में इतना विलम्ब हुश्रा । पर इस समय मैं ऐसी उदार बातें सुनने को तैयार न था। डूबा हुआ धना मिल गया, इसकी खुशी से फूला नहीं समाता था ।