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२७२ मानसरोवर ये ही घटनाएँ हैं, जिनसे जातीय-इतिहास प्रकाश और महत्व को प्राप्त होता है। पोलिटिकल रेजीडेंट ने गवर्नमेंट को रिपोर्ट की । इस बात की शका थी कि गवर्नमेंट ऑफ इण्डिया और नेपाल के बीच कुछ खिंचाव हो जाय , किन्तु गवर्नमेंट को राणा जगबहादुर पर पूर्ण विश्वास था। और नब नैपाल की राजसमा ने विश्वास और सन्तोष दिलाया कि महारानी चन्द्रकुँवरि को किसी शत्रुभाव का अवसर न दिया जायगा, तो भारत सरकार को सन्तोष हो गया । इस घटना को भारतीय इतिहास की अँधेरी रात में 'जुगुनू की चमक' कहना चाहिए।