पृष्ठ:मानसरोवर भाग 3.djvu/८८

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आधार पर अनूपा-जो चाहें कहें, जिसके नाम पर १४ बरस बैठी अब भी बैठी रहूंगी। मैंने समझा था, मरद के बिना औरत से रहा न जाता होगा। मेरी तो भगवान् ने इज्जत-भाबरू से निबाह दी। जब नई उमर के दिन कर गये तो अब कौन चिन्ता है। वासुदेव को सगाई कोई लड़को खोजकर कर दो। जैसे अब तक उसे पाला, उसी तरह अब उसके बाल-बच्चों को पालूंगी। ।