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चिन्ता--प्रमाण से सिद्ध कीजिए। मोटेराम-प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण ! चिन्ता०- यह तुम्हारी मूर्खता है। मोटेराम-तुम जन्म-भर खाते हो रहे, किन्तु खाना न आया । इस पर चिन्तामणिजी ने अपनी आसनी मोटेराम पर चलाई। शास्त्रीजी ने पार खालो दिया भौर चिन्तामणि की और मस्त हाथी के समान झपटे; किन्तु उपस्थित -सज्जनों ने दोनों महात्माओं को अलग-अला कर दिया।