पृष्ठ:मानसरोवर भाग 3.djvu/१६

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विश्वास

होता है। मेरी उच्च शिक्षा ने गृहिणी-जीवन से मेरे मन में घृणा पैदा कर दो मुझे किसी पुरुष के अधीन रहने का विचार अस्वाभाविक जान पड़ता था। मैं गृहिणो की जिम्मेदारियों और चिंताओं को अपनी मानसिक स्वाधीनता के लिए विष-तुल्य सममती थी। मैं तर्क-घुद्धि से अपनी स्त्रीत्व को मिटा देना चाहती थी, मैं पुरुषों की भांति स्वत्त्र रहना चाहती थी। क्यों किसी की पाबन्द होकर रहूँ? क्यों अपनी इच्छाओं को किसी व्यक्ति के सांचे में ढालूँ? क्यों किसी को यह कहने का अधिकार दूं कि तुमने यह क्यों किया, वह क्यों किया ? दाम्पत्य मेरी निगाह में तुच्छ वस्तु थी। अपने माता-पिता पर आलोचना करनी मेरे लिए उचित नहीं, ३श्वर उन्हें सद्गति दे। उनको राय किसी बात पर न मिलती थी। पिता विद्वान् थे, माता के लिए काला अक्षर भैंस बराबर' था। उनमें रात दिन वाद-विवाद होता रहता था। पिताजी ऐसी स्त्री से विवाह हो जाना अपने जीवन का सबसे बड़ा दुर्भाग्य समझते थे। वह यह कहते कभी न थकते थे कि तुम मेरे पाँव को बेकी बन गई, नहीं तो मैं न जाने कहा उड़कर पहुंचा होता। उनके विचार में सारा दोष माताजी की अशिक्षा के सिर था। वह अपनी एकमात्र पुत्री को मूर्खा माता के ससर्ग से दूर रखना चाहते थे। माता कभी मुझे कुछ कहती तो पिताजी उन पर टूट पड़ते-तुमसे कितनी बार कह चुका कि लड़की को डांटो मत, वह स्वयं अपना भला-बुरा सोच सकती है, तुम्हारे डौटने से उसके आत्म-सम्मान को कितना धका लगेगा, यह तुम नहीं जान सकतीं। आखिर माताजी ने निराश होकर मुझे मेरे हाल पर छोड़ दिया और कदाचित् इसी शोक में चल बसी । अपने घर की अशान्ति देखकर मुझे विवाह से और भी घृणा हो गई। सबसे बड़ा मसर मुम पर मेरे कालेज की लेडी प्रिंसपल का हुआ जो स्वय अविवाहिता थीं। मेरा तो अब यह विचार है कि युवकों की शिक्षा का भार केवल आदर्श चरित्रों पर रखना चाहिए । विलास में रत, शौकोन कालेजों के प्रोफेसर, विद्यार्थियों पर कोई मच्छा असर नहीं डाल सकते । मैं इस वक्त ऐसी बातें आपसे कह रही हूँ, पर अभी घर जाकर यह सब भूल जाऊँगो । मैं जिस ससार में हूँ, उसका जलवायु ही दूषित है। वहाँ सभी मुझे कोचड़ में लतपत देखना चाहते हैं, मेरे विलासासक रहने में ही उनका स्वार्थ है । आप वह पहले आदमो हैं जिसने मुम पर विश्वास किया है, बस मुन्से निष्कपट व्यवहार घ्यिा है । इलर के लिए अब मुझे भूल न जाइएगा।

आपटे ने मिस जोशो की ओर वेदनापूर्ण दृष्टि से देखकर कहा-अगर