अपनी बात
हिन्दी के अनेक विद्वानों ने स्व॰ माधवराव सप्रे की कहानी 'एक टोकरी भर मिट्टी' को हिन्दी की प्रथम मौलिक कहानी माना है, फिर भी कभी-कभार उस पर बहस आरम्भ हो जाती है। इसी दृष्टि से यह आवश्यक समझा गया कि स्व॰ सप्रेजी की कहानियों का संग्रह प्रस्तुत किया जाए, ताकि उनका वास्तविक मूल्यांकन हो सके। स्व॰ सप्रेजी का कहानी-विधा के प्रति कितना आकर्षण था, उसका प्रमाण निम्नलिखित उनकी ही पंक्तियाँ देती हैं––
"इस समय हमें अपनी पूर्वावस्था के एक शिक्षक का स्मरण हुआ जब हम बिलासपुर में अंग्रेजी शाला में पढ़ते थे। उस समय हमारे शिक्षक श्री रघुनाथ राव यद्यपि बड़े विद्वान न थे, तो भी पूर्ण आत्मसंयमी थे और उपद्रवी और आलसी लड़कों को मार्ग पर लाने में बड़े कुशल थे। वे शारीरिक दण्ड का उपयोग कम करते, वरन नीतिशिक्षा अधिक करते थे। समय-समय पर सुनीति से भरी छोटी-छोटी शिक्षाप्रद कहानियाँ कहकर विद्यार्थियों का मन अभ्यास में लगाते और उन्हें नीतिवान करने का प्रयत्न करते थे। 'सबसे बुरी चीज', 'हाथी को हाथ में लेना', 'दुश्मन', आदि कहानियों का स्मरण हमारे सहपाठियों को अवश्य होगा।" ––'छत्तीसगढ़मित्र', माधवराव सप्रे, सन् १९०१
उपर्युक्त उद्धरण यह प्रमाणित करता है कि १२ वर्षीय छात्र के मन में निरन्तर कहानी विधा तैर रही थी और उसका प्रभाव उसके परिपक्व लेखन पर भी था और यही कारण था कि वे इस विधा के प्रति सर्वाधिक प्रयत्नशील थे। जब सप्रेजी हाईस्कूल के छात्र के रूप में गवर्नमेन्ट हाईस्कूल, रायपुर में भर्ती हुए, तब वे अपने शिक्षक नन्दलाल दुबे के सम्पर्क में आये, जिन्होंने न केवल सप्रेजी के मन में हिन्दी के