448 / महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली और जीवन-कलह की घुड़दौड़ में इतिहास की शिक्षादायक बातों को भूल जाता है। उन्हें भूलना न चाहिए; उनसे शिक्षा लेनी चाहिए। यद्यपि इस लेख में इतिहास के उपयोग और महत्त्व की चर्चा करने के लिए स्थान नही है तथापि इस बात की सूचना आरम्भ में दे देनी चाहिए कि मनुष्य जाति की उन्नति के लिए इतिहास के समान और कोई शिक्षक नहीं है। यूरोष के इतिहास में, अति प्राचीन समय में, विद्या, कला-कुशलता, समाज- व्यवस्था, राज्यप्रबन्ध आदि बातों में ग्रीस देश ने सब से पहले उन्नति की। इसलिए पहले उसी देश के विषय में कुछ लिखा जाता है। [1] ग्रीस यदि इस देश की तुलना हिन्दुस्तान के साथ की जाय तो मालूम होगा कि इन देशों में बहुत कुछ साम्य है। जिस तरह ग्रीस में अनेक छोटे रजवाड़े (संस्थान, रियासतें, States) थे, उसी तरह हमारे विस्तीर्ण भरतखण्ड में भी अनेक छोटे बडे राज्य थे और अब भी है। जैसे उस देश में मूल भाषा यूनानी, अर्थात् ग्रीक, थी और स्थानभेद के अनुसार भिन्न भिन्न प्रान्तो मे उसके अनेक भेद हो गये थे, वैसे ही इस देश में मूल भाषा संस्कृत थी और स्थानभेद के अनुसार भिन्न भिन्न प्रान्तों में अनेक भापाये प्रचलित हो गई हैं। ग्रीम देश के निवामी काव्यादि कलाओ में और अध्यात्म-तत्त्व-विचार में अपनी बुद्धि के प्रभाव से जैसे महत् पद पर आरूढ़ हुए, वैसे ही हमारे देश के प्राचीन ऋषि, मुनि और कविगण विद्याओं, कलाओं और तत्त्व-विचार में निपुण हो गये हैं। ग्रीक लोग अपनी बुद्धिमानी और पराक्रम के बल पर बहुत समय तक वैभव की चोटी पर चड़े रहे, परन्तु भिन्न भिन्न रियासतो के पारस्परिक कलह के कारण उन लोगों की ऐनी दुर्दशा हो गई कि लगभग दो हजार वर्ष तक ग्रीस देश की स्वतन्त्रता नष्ट हो गई और उनका सारा प्राचीन वैभव चला गया। ठीक यही दशा हमारे देश की भी हुई है। यहाँ भी बड़े बड़े राज्य स्थापित हुए। उनके वैभव ने इस देश के प्राचीन इतिहास को सर्वमान्य बना दिया है । परन्तु आपम की फूट से उसका सारा ऐश्वर्या नष्ट हो गया। हमाग कर्तव्य अब यह है कि ब्रिटिश राजसत्ता के अधीन रहते हुए हम अपनी उन्नति करें। क्योंकि अंगरेजी राज्य में हमारे लिए उन्नति के सभी साधन मौजूद है । ग्रीम देश के प्राचीन इतिहास से एक बात यह सिद्ध होती है कि जिस देश के निवामियों में स्वाभाविक एकता होती है वह सचमुच भाग्यवान् समझा जाता है । यद्यपि यह बात सभी देशो में नही पाई जाती तथापि कुछ कम भाग्य की बात नहीं है कि जब किमी देश पर माधारण मंकट आ जाय तब सब लोग आने आपस के कलह का त्याग करके उम संकट को दूर करने के लिए मिलकर काम करें। इस प्रकार की एकता ग्रीस देश के उन रजवाड़ों में पाई जाती है जो हमेशा आपम की लड़ाई में लगे रहते थे। एक म.दि. 1.4
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