पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/४३

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सुमात्रा और जावा आदि द्वीपों में प्राचीन हिन्दू-सभ्यता उस दिन अखबारों में पढ़ा कि कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने स्याम, अनाम, कम्बोडिया और मलय द्वीप-समूह की यात्रा के निमित्त कलकत्ते से प्रस्थान कर दिया। आप इन देशो और द्वीपों के निवासियों पर वेदों और उपनिषदों की अमृत-रस से सिंचित वाणी की वर्षा करेंगे और हिन्दुओं तथा बौद्धों की प्राचीन सभ्यता के तत्रस्थ चिह्नों के दर्शनों से कृतार्थ होगे। सुमात्रा, जावा, बोर्नियो, कम्बोडिया (काम्बोज) और बाली आदि में किसी समय हिन्दुओं ही का राज्य था । उन्हीं ने वहाँ उपनिवेशों की स्थापना की थी। उन्हीं ने वहाँ वैदिक सभ्यता फैलाई थी । इन देशो तथा द्वीपो में भारत की प्राचीन सभ्यता की धुंधलो झलक अब भी देखने को मिल सकती है । कौन ऐसा सभ्यताभिमानी भारतवासी होगा जो अपने पूर्वजों के कीर्ति-कलाप की उस झलक के दर्शन करने की इच्छा न करे । अध्यापक विज्ञानराज चैटजी (BijanrajChatterji) अथवा परम पवित्र और परमपूर्ण अंगरेजी भाषा की कृपा से विजनराज या विजानराज चैटर्जी ने तिब्बत, इंडो- चायना और जावा आदि की खूब सैर की है और वहाँ के प्राचीन इतिहास से विशेष अभिज्ञता भी प्राप्त की है। उन्होंने पुरातन काम्बोज अर्थात् अर्वाचीन कम्बोडिया पर एक पुस्तक भी लिखी है । उनके लेख से मालूम होता है कि छोटे से बाली नामक टापू में अब तक प्राचीन हिन्दुओं के वंशज वर्तमान हैं। उनमें हिन्दुओं के अनेक रीति-रवाज अब तक वैसे ही पाये जाते हैं जैसे कि किसी समय हमारे पूर्वज भारत-वासियों के थे। उनके धर्म में यद्यपि बौद्ध धर्म का मिश्रण हो गया है तथापि अनेक विषयों में वे अब भी हिन्दुओं ही के धर्म-विश्वास के पक्षपाती हैं। उनकी उपासना-पद्धति, उनके खानपान और उनके मन्दिर आदि देखकर यह निश्चय करने में देर नहीं लगती कि वे लोग प्राचीन हिन्दुओं ही की सन्तति हैं। जिन अध्यापक विज्ञान (विजान या विजन) राज चैटर्जी का उल्लेख ऊपर किया गया उनका लिखा हुआ एक लेख गत जून के 'माडर्न रिव्यू' में प्रकाशित हुआ है। वह अँगरेज़ी भाषा में है। उसमें जावा आदि टापुओं के प्राचीन इतिहास का महत्त्वपूर्ण दिग्दर्शन है । उसमें निर्दिष्ट अनेक बातें भारतवासियों के लिए नई, अतएव जानने योग्य । इसी से हम उगके कुछ अंशों का अवतरण नीचे देते हैं । गत 30 वर्षों में हालैंड के पुरातत्त्वज्ञों ने प्राचीन पुस्तकों, लेखों और परम्परा से सुनी गई गाथाओं की सहायता से जावा आदि टापुओं के इतिहास पर बहुत कुछ प्रकाश डाला है। -