पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/३४६

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वाल्ट हिटमैन समाज उच्खलता नही चाहती । इसीलिए एक मर्यादा निर्धारित कर दी गई है जिसे भंग करने का साहस कोई नहीं कर सकता। साहित्यक्षेत्र की भी यही दशा है। वह भी मर्यादित है--नियमबद्ध है। उन नियमों को तोड़ देना बड़ा कठिन है। फिर भी, मानव- समाज से समान साहित्यक्षेत्र में भी परिवर्तन होते रहते हैं। जब प्रचलित नियमों से साहित्य के विकास में बाधा आती है, जब उन नियमों के कारण साहित्य में प्रतिभा-स्रोत मलिन पड़ जाता है । मौलिकता नष्ट हो जाती है, अपूर्वता नही रहती है, तब एक ऐसे कवि का आविर्भाव होता है जो अपनी मौलिकता से उन नियमों को निस्सार सिद्ध कर देता है। इसमें सन्देह नहीं कि लोग उसकी कृति को देख पहले पहल उसका उपहास करते हैं, कुछ कुछ उसकी अवहेलना भी करते हैं; पर अपनी विलक्षणता से, अपनी अपूर्वता से, शीघ्र ही वह मनुष्यों के हृदय में स्थान कर लेता है। तब लोग उस कवि का आदर करने लगते हैं। वाल्ट ह्विटमैन अमेरिका का ऐसा ही कवि था । विद्वानों का कथन है कि उसकी कविता में अमेरिका के अन्य कवियों से अधिक सजीवता और मौलिकता है । वह प्रजा- पक्ष का कवि कहा जाता है, क्योंकि उसने जन-माधारण के हृद्गत भावो को अच्छी तरह व्यक्त किया है । उसने न तो किसी का अनुकरण किया है और न स्वयं कोई नियम बनाने की परवा की है । उसके विचार विचित्र हैं और उसकी शैली विलक्षण है । चाहे कोई उन विचारो से सहमत हो चाहे न हो, पर इसमें सन्देह नहीं कि वह वाल्ट ह्विटमैन की कृति का आदर अवश्य करेगा। वाल्ट ह्विटमैन की उच्छृखता का प्रमाण हमें उसकी कृति में खूब मिलता है। उमका कहना है कि कविता-कामिनी से शब्दों का भार-वहन कराकर उसे हंसगामिनी मत बनाओ। उसे अपनी स्वाभाविक गति से स्वच्छन्दतापूर्वक चलने दो, साहित्याकाश में उसे निर्बन्ध-रहित पक्षी की तरह उड़ने दो, भाव-सिन्धु में उसे मछली की तरह तैरने दो। उपमा आदि अलकारों की कोई ज़रूरत नही। उसका प्राकृतिक सौन्दर्य इन अलकारो से नष्ट हो जाता है । कविता मे न तो नर्क से काम लो और न विवाद से । उसमें तुम रहो; तुम्हारा प्रतिविम्ब न रहे । उसमें प्रकृति रहे; प्रकृति की छाया न रहे । उमके निम्नलिखित पद्यों से यह भाव प्रकट होता है- Small is the theme of the following chant, yet the greatest. । namely, One's self, that wondrous thing, a simple separate person. That, for the use of the New World I sing, Man's physiology from top to bottom I sing,