पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/३४१

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बेंजमिन फ्रेंकलिन बेंजमिन फ्रैंकलिन अमेरिका में एक बड़ा उद्योगी पुरुष हो गया है। वह केवल अपने ही पराक्रम और परिश्रम से योग्यता को पहुंचा। उसके आदि-अन्त की दशा का मिलान करने से निश्चय होता है कि दरिद्र भी उद्योग से धनाढ्य हो सकता है । वह निरा दरिद्र होने पर भी इतना बड़ा विद्वान् और मम्पत्तिमान कैसे हुआ, जो जो संकट उस पर पड़े उनसे उसको कैसे छुटकारा मिला, उसकी कीति कसे फैल गई-इन सब बातों का विचार करने से बहुतों को उसका सा उद्योग करके उन्नति करने का उत्माह होगा। फ्रैंकलिन उत्तरी अमेरिका के बोस्टन नगर में सन् 1706 ई० में उत्पन्न हुआ था । उसका बाप बीस बरस पहले इंगलैंड से अमेरिका में जाकर बसा था। उसका कुटुम्ब बड़ा था; इसजिण वह सोच समझ कर चलता था । वह बुद्धिमान् और उद्योगी था और अपने लड़कों को विद्वान् बनाने के लिए सदा यत्न किया करता था। फैकलिन के बड़े भाई ने एक छापाखाना खोला। उस समय फ्रैंकलिन की अवस्था केवल बारह बरस की थी। उसके बाप ने उसे भाई के अधीन कर दिया। फ्रैंकलिन को लड़कपन से ही पुस्तकें पढ़ने की बड़ी रुचि थी। इस कारण जो द्रव्य वह कमाता उसे बहुधा पुस्तकें मोल लेने में लगाता था। छापेखाने में रहने के कारण बहुत से पुस्तक बेचने वालों से उसकी जान पहचान हो गई । वह शाम को उनसे पुस्तकें माँग लाता और रात में पढ़कर सबेरे लौटा आता था। इस रीति से उसकी बुद्धि दिन दिन बढ़ती गई और वह अपने भाई की विशेष सहायता करने लगा। सोलह बरस की उम्र में बेंजमिन के हाथ एक पुस्तक लगी, जिसका आशय यह था कि अन्न और वनस्पतियों का आहार मनुष्यों के लिए सस्ता और हितकारी है । तब उसने इसी प्रकार का भोजन करने का निश्चय किया। अपने भाई से उसने कहा कि जितना व्यय मेरे भोजन में पड़ता है उसका आधा ही ख़र्च किया जाय; शेष रक्खा रहे; काम पड़ने पर मांग लिया करूँगा। भाई ने उसका कहना मान लिया। उसकी आधी कमाई बचने लगी, जिससे नई गई पुम्न लेने में उसे बड़ी सुगमता हुई। जब उसका भाई और छापेखाने के नौकर भोजन करने जाते तब वह वही रहता और खाकर कुछ न कुछ सीखा करता। जब वह कोई नई विद्या सीखने पर उतारू होता तब धीरज से अवश्य ही उसे सीख लेता। एक दिन की बात है कि उसे गणित का एक प्रश्न हल करने की आवश्यकता हुई। पर वह उसे न कर सका । इस पर वह बहुत लज्जित हुआ । उसी दिन से वह के अभ्यास में तत्पर हो गया जब तक उसमें निपुण न हो गया उसने दूसरे विषय के सीखने को मन न चलाया। फैकलिन का भाई उसके साथ निठुरता का बर्ताव करता था। इसलिए वह नौकरी की खोज में फिलाडेलफ़िया गया। उस समय उसकी गाँठ में बहुत ही थोड़ा धन