पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/२९

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बौद्धों के द्वारा अमेरिका का आविष्कार /25 मेक्सिको तक समुद्र के किनारे किनारे जितने ही प्रदेश है उन सब में बौद्ध धर्म शौर सभ्यता के चिह्न पाये जाते हैं। यद्यपि इनमें से अधिकांश चिह्न स्पेनिश लोगों ने नष्ट कर दिये हैं, तथापि अभी बहुत कुछ अवशिष्ट हैं । यह लिखा जा चुका है कि मेक्सिको के स्थानों और पुरोहितों के नामों में बौद्ध धर्म की झलक पाई जाती है। इसके कुछ उदाहरण और दिये गये हैं। एकाध और भी सुनिए। मेक्सिको वाले अपने प्रधान पुरोहित को देशाक्का या शाक्का पुरुष कहते हैं । यह कहने की आवश्यकता नहीं कि यह शब्द शान्ध शाक्य का रूपान्तर मात्र है। एक अन्य पुरोहित का नाम कौनर शाक्का था। यह शब्द गौतम शाक्य का बिगड़ा हुआ रूप मालूम होता है। मेक्सिको में जितने शिलालेख, मूर्तियाँ और मन्दिर आदि मिले हैं उनमें से अधिकांश बौद्ध धर्म से सम्बन्ध रखते है। बौद्ध-मन्दिर और दीर्घ परिच्छदधारी बौद्ध पुरोहित मेक्सिको में जगह जगह देखे जाते है । नाना प्रकार की बुद्ध-मूर्तियों की भी वहाँ कमी नही है । सुनते हैं कि गणेश और राहु आदि की मूर्तियाँ भी मेक्सिको में मिली है । पर जितने प्रमाण लिखे गये है उन मब से सिद्ध है कि प्राचीन काल में एशिया के बौद्ध संन्यासी अमेरिका गये थे। और वहां उन्होने बौद्ध धर्म का प्रचार किया था। साथ ही साथ यह भी मालूम होता है कि वही लोग अमेरिका के वास्तविक आविष्कारक थे, न कि कोलम्बस और उसके साथी। इसलिए उस यश के सच्चे अधिकारी बौद्ध संन्यामी ही हैं जो इस प्रसंग में कोलम्बस को प्राप्त हुआ है । [दिसम्बर, 1909 को 'सरस्वती' में प्रकाशित । 'अतीत-स्मृति' में संकलित 1]