पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/२६२

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कर्नल आलकट पाठकों ने थियामफ़िकल सोसायटी का नाम सुना ही होगा । उसे स्थापित हुए कोई 30 वर्ष हुए । उसका प्रधान दफ्तर मदरास (अडियार) में है। इस समाज के सिद्धान्त कुछ- कुछ ब्रह्मवादियों के सिद्धान्तों से मिलते हैं । इसका मुख्य सिद्धान्त है-मनुष्य परमात्मा का अंश है। अतएव वह परमात्मा का प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त कर सकता है । इस समाज में मब धर्मों और मब सम्प्रदायों के अनुयायी भरती हो सकते हैं। इसके अधिष्ठाताओं और कार्यकर्ताऔ का कथन है कि हमें किसी धर्म से द्वेष नही, ईश्वर मबका एक है। हाँ, उमकी प्राप्ति के साधन जुदे-जुदे हैं । पर इससे मुख्य उद्देश में बाधा नही आ सकती। मब लोगो में भ्रातृ-भाव की स्थापना, ब्रह्मविद्या का प्रचार और पारस्परिक महानुभूनियों की वृद्धि ही इम समाज के कर्तव्य हैं । इसके संस्थापक कर्नल आलकट का शरीरपात हुए अभी थोडे ही दिन हुए। मदराम में, 17 फरवरी 1907 को, आपकी मृत्यु हुई । आपके मृत देह के पाम मब धम्मों की प्रधान-प्रधान पुस्तकें रक्खी गई थी। यह आपकी आज्ञा से हुआ था । आप कह गये थे, ऐसा ही करना । मरने पर मब धर्मों के अनुयायियों ने आपका कीतिगान किया । आपके शव का अग्नि-मस्कार हुआ। अस्थि-संचय का आधा भाग ममद्र में डाला गया । आधा काशी में, भागीरथी में, प्रवाहित किया गया। यह बात हिन्दू धर्मानुकूल तीन-चार वर्ष हुए हमने कर्नल आल कट के जीवनचरित की सामग्री इकट्ठी करने की कोशिश की थी। पर मफलता न हुई। जो लोग सामग्री दे सकते थे उन्होंने उत्तर दिया कि कर्नल माहब का जीवनचरित प्रकाशित नही हो सकता। साहब नही चाहते कि उनका चरित प्रकाशित हो । क्या करते ? चुप रहना पड़ा। पर अब, उनकी मृत्यु के बाद, श्रीमती एनी बेसंट ने उनका संक्षिप्त चरित अंगरेजी अखबारों में छपा दिया है। उससे कर्नल माहब का कुछ हाल लोगों को मालूम हो गया है । खैर, नब न मही, अब सही। कर्नल साहब के पूर्वज अँगरेज़ थे। उन्हे अमेरिका में आकर बसे कई पुश्तें हो गई। अतएव कर्नल आल कट को अमेरिकन कहना चाहिए । अमेरिका के न्यूजर्मी प्रान्त के आरेंज नगर में कर्नल माह्व का जन्म, 1832 ईसवी में, हुआ था । आपका कृषि-विद्या से बड़ा शौक़ था। ग्रीम की गवर्नमेंट ने उन्हें कृपि के महकमे मे एक अच्छा पद देने की इच्छा प्रकट की थी। पर उन्होंने एथन्स जाना मंजूर न किया। आपने अपने ही देश में कृषि-विद्या का एक स्कूल खोला। उसमें आपने बड़ी कार्य-दक्षता दिखलाई। आपका बड़ा नाम हुआ । आपने कृषि-विपयक एक किताब भी लिखी। थोड़े ही समय में वह सात दफ़े छपी । आपकी योग्यता से प्रसन्न होकर अमेरिका के अधिकारियों ने वाशिंगटन में