पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/२०२

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198 / महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली छोड़कर परलोक की राह ली। रोम में एक धर्माधिकारी रहता है। उसे पोप कहते हैं । धर्म की बातों में वह सबका गुरु माना जाता है। उस समय पोप को यहां तक अधिकार था कि धर्म-ग्रन्थों के प्रतिकूल जो मनुष्य एक शब्द भी कहता था उसे कड़ा दण्ड मिलता था। धाम्मिक लोगों की समझ में पृथ्वी अचल थी; परन्तु कोपर्निकस की पुस्तक में यह बात झूठ सिद्ध की गई थी। इसलिए उसे अपनी पुस्तक के छपाने में बहुत दिन तक संकोच रहा। परन्तु मित्रों के कहने से अपना हृदय कड़ा करके उसने उसे छपा ही दिया। छपने के अनन्तर यदि वह कुछ दिन जीता रहता तो शायद उसे वही दुःख भोगने पडने जो गैलीलियो को भोगने पड़े। 70 वर्ष की अवस्था में कोपर्निकम की मृत्यु हुई । कोपर्निकस के अनन्तर योरप में दूसरा प्रसिद्ध ज्योतिषी गैलीलियो हुआ। उमका जन्म, इटली के पिसा नामक नगर में, 1564 ईसवी में, हुआ। गैलीलियो के बाप की इच्छा थी कि वह वैद्यक पढ़े; परन्तु उसको वह विषय अच्छा नही लगा। उसे गणित और पदार्थ-विज्ञान अधिक प्रिय थे । इसलिए उसने यही दो विषय पढ़ना आरम्भ किया। इन विषयों में वह बहुत ही प्रवीण हो गया। उसकी विद्या और बुद्धि से प्रसन्न होकर पिसा की पाठशाला के अधिकारियो ने उसे उस पाठशाला में गणित का अध्यापक नियत किया। कुछ दिनों में गणित और पदार्थ-विज्ञान में गैलीलियो इतना निपुण हो गया कि अरिस्टाटल और टालमी इत्यादि प्राचीन विद्वानो की भूले वह दिखलाने लगा और अनेक प्रकार के प्रयोगों द्वारा उनकी भूलों को सिद्ध करके बतलाने लगा। पुराने विद्वानों के पक्षपातियो को यह बात बहुत बुरी लगी । वे गैलीलियो के शत्रु हो गये और उसे तंग करने लगे। इमलिए गैलीलियो पिसा की पाठशाला को छोड़कर हादुआ को चला गया और 18 वर्ष तक वहाँ की पाठशाला में उसने गणित के अध्यापक का काम किया। इस बीच उसकी विद्या और बुद्धि की यहाँ तक प्रशंसा हुई कि पिसा की पाठशाला के अधिकारियो ने उसे फिर बुला लिया और उसका मासिक वेतन बढ़ाकर उसे वर्हा गणिन के अध्यापक के पद पर नियुक्त किया। गैलीलियो ने अपनी विद्या के बल से सबसे पहले दरवीन बनाने की युक्ति निकाली। पहले उमने जो दूरबीन बनाई उमसे जो पदार्थ देखे जाते थे वे तिगुने बड़े दिखलाई देते थे; परन्तु धीरे-धीरे उमने उसको यहां तक सुधारा कि उसके द्वारा देखने से पदार्थ तीस गुने बड़े अथवा तीम गुने निकट दिखलाई पड़ने लगे। इस दूरबीन के द्वारा उमने मूर्य, चन्द्रमा और शनैश्चर इत्यादि ग्रहो को देखकर उनके आकार, उनकी चालें और उनकी बनावट के विषय में ज्ञान प्राप्त किया और यह कहकर कोपर्निकस के मत को पुष्ट किया कि पृथ्वी मूर्य के चारो ओर घूमती है। पहले पहल जब उसने यह बात प्रकाशित की कि पृथ्वी के समान चन्द्रमा पर भी पर्वत, गड्ढे और ऊँचे-नीचे स्थान हैं तब पुराने विचार के लोग उस पर जल उठे। वे लोग उसको खुल्लमखुल्ला गालियां देने लंग और उसका यहाँ तक द्वेष करने लगे कि रोम के प्रधान धर्माधिकारी पोप तक से उन्होंने उसकी शिकायत की 1615 ईसवी में वाइबिल के प्रतिकूल मत प्रचलित करने के इलज़ाम पर पोप ने गैलीलियो पर अभियोग चलाया। उस समय धर्म के ग्रन्थों के प्रतिकूल यदि कोई कुछ 1