पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/११५

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हेग का राष्ट्रीय न्यायालय / 111 इन सन्धिपत्रों के सम्बन्ध में जो विवाद उपस्थित होते है उनका निर्णय कराने के लिए तत्सम्बन्धी राज्य अपने अपने पक्ष के प्रमाण इस न्यायालय के न्यायाधीशों के सामने पेश करते हैं । परन्तु इसके पहले किसी तटस्थ और बड़े राज्य को विवादास्पद वातों के विषय की पंचायत करने के लिए तीन पंच चुनना पड़ते हैं । अर्थात् वादी-प्रतिवादी राज्य को नहीं; किन्तु किसी ऐसे राज्य को जिसका प्रस्तुत विवाद से कोई सम्बन्ध न हो उसे तीन पंच नियत कराना पड़ते हैं । ये पंच न वादी राज्य के होते हैं, न प्रतिवादी राज्य के । किसी तटस्थ राज्य के होते हैं और ऐसे होते हैं जिनकी न्याय बुद्धि पर सबका पूर्ण विश्वास होता है । इन पंचों के ढूंड़ने में कठिनता उत्पन्न होती है, क्योकि लोग बहुधा इस पंचायत का काम करना नहीं चाहते । वे समझते हैं कि पंच बनता मानो अपनी न्यायशीलता की परीक्षा देना है। तथापि यह कठिनाई किसी न किसी तरह हल हो ही जाती है । पंच भी मिल जाते हैं और विवादों का निर्णय भी हो जाता है । इस विषय के एक दो उदाहरण देने से बात अच्छी तरह समझ में आ जायगी। 1902 ईसवी में इस प्रकार की पहली पंचायत हुई । 'कैलीफ़ोनिया पायम फंड' से सम्बन्ध रखनेवाले एक मामले के विषय में अमेरिका की संयुक्त रियासतो और अंजील के मध्य झगड़ा हुआ । यह विवाद इम न्यायालय के सम्मुख आया और उसने सयुक्त रियासतों के पक्ष में निर्णय किया। उसे दोनों पक्षो ने क़बूल किया। युद्ध होना बच गया। दोनों देशों के मध्य उत्पन्न हुआ वैषम्य दूर हो गया। दूसरा विवाद वेनिज्यूला देश के सम्बन्ध में था। इस देश पर कई राज्यो का कर्ज था। इन राज्यों में ग्रेट ब्रिटेन, इटली और जर्मनी भी थे। सव राज्य अपना अपना मपया माँगने लगे। पर उनमें से पूर्वोक्त तीनों देशो ने बडा ही सख्त तक़ाज़ा शुरू किया। फल यह हुआ कि लड़ाई की नौबत आने के लक्षण देख पड़ने लगे। मामला इम शान्ति- मन्दिर को भेजा गया। फैसला इस बात का मांगा गया कि बेनिज्यूला पर कई देशो का कर्ज है । सब तकाजा कर रहे हैं। पूर्वोक्त तीनों देश भिड़ने पर तैयार है । इस कारण से क्या यह न्याय्य होगा कि औरों का रुपया न देकर पहले इन्ही तीनों का रुपया दे डाला जाय? मालूम नहीं इस मामले का क्या फ़ैसला हुआ। जरूर सब पक्षों के अनुकूल हुआ होगा । अन्यथा इस विषय की कोई विपरीत घटना ज़रूर ही संघटित होती। न्यूफौंडलैण्ड में मछली का शिकार करने के सम्बन्ध में इंगलैंड और अमेरिका को कुछ हक मिले हैं। उनके सम्बन्ध में अभी, कुछ ही समय हुआ, जो विवाद हुआ उसका भी फैसला इसी न्यायालय ने किया है और उसे दोनों देशों ने सिर झुकाकर मान लिया है। इस मामले का फैसला करने के लिए जो पंच नियत किये गये थे उनमें डाक्टर लामास्क सरपंच थे । ये आस्ट्रिया के रहने वाले हैं, और बड़े विद्वान् है। इंगलैंड के पक्ष के एक विद्वान् और बहुश्रुत वकील ने उनके विषय में लिखा है-“इनमें आबाल-वृद्ध मबकी अत्यन्त पूज्य बुद्धि है । ये उत्तम अँगरेजी बोल सकते हैं। सिबा लैटिन, फ्रेंच और स्पैनिश भाषायें भी ये अच्छी तरह जानते हैं । जान पड़ता है कि सब देशों के क़ानून का इन्हें अच्छा ज्ञान है। न्याय करने में यह ज्ञान इन्हें बहुत उपयोगी होता है। प्रतिष्ठा-पात्रता की ये प्रत्यक्ष मूर्ति हैं । इनका भाषण शान्त भाव से परिपूर्ण रहता है।