ॐ महाभारतमीमाता समयक ५४६ ३८० 49 १५२ नाग और सर्प . २७ ३४६ ५४ दण्डस्वरूप ... ... ... ३०६ नक्षत्र दोनों दी हुई दृष्टियोंसे डी . : दर्शन-प्राजकलके सूत्र महा. उतरते हैं .. ... ... १३९ भारतके बादके हैं ... ६५ सायन निरयण माननाभ्रमपूर्ण है १३२ दक्षस्तवाख्यान ... ... ५५४ भेद पहले नहीं मालूम था ... १३३ दक्षिणके लोगोंकी सूची नक्षत्र कृत्तिकादि हैं . १३३ दशावतार, महाभारतके समयके वेधसे भिन्न भिन्न नक्षत्रोंको दास (शद्र) समझना सर्वतोभद्रचक्रसे... दान . नक्षत्र (२७) ... ... ... ४१५ दीनारका उल्लेख हरिवंशमें . ७ नक्षत्र दिनोंके... ... ... ४१. दीर्घायुप्य, भारती श्रार्योंका ... १६८ नगर (हिन्दुस्तानके) ... ... ४०६ दुर्गा ४५४ नदियाँ (हिन्दुस्थानकी) ... ४०१ देवयान और पितृयाण ५०५ नदियोंकी सूची .... ४१२ देवता ३३ .. ४५० नाग लोग हिन्दुस्थानके देहत्याग, रणमें अथवा वनमें . २८५ : निवासी थे ... ... द्रविड . ... . . ३६७, प्रत्यक्ष नागस्वरूपकी कल्पना बाद- द्वीप (अन्य) न्य) .. .. . ३६४ १५३ धूत .. ... .. नाटकोंका उल्लेख है परन्तु नाटक- धनुष्यबाण धनुष्यका व्यासंग i कारोंका नहीं है ... ... ३५१ धन्धे (व्यवसाय) ब्राह्मणोंके | .: नास्तिकोंका उल्लेख "असायं अप्र- तिष्ठितंते" इस श्लोकमें है, ,, क्षत्रियोंके .... ... १६० । बौद्धोका नहीं ... .. वैश्योके . . . २६२ नियोग .. शुद्रोंके . .. ..१०२ विकत ४३. संकर जातियोंके . १६३-१६४ निवत्तिका निरोध ... ५-६ धर्मशास्त्र ... .४४१ नीतिका तर्कपर स्थापन धर्म और नीतिकी शिक्षा . २५ नीनिके अपवादक प्रसंग ५६8 धर्मके दो मार्ग .. ५१३ , न्यायशास्त्र ... ... ४४० धर्माचरण मोक्षप्रद है . . ५.३ ' न्यायविभाग ... ... ३२७ धर्माधर्मनिर्णय .... ५१४ . पंचेन्द्रियाँ ... ... धर्मके अपवाद .... ५१५ पंचमहाभूत ... ... ... ४७६ धर्मयुद्ध के नियम ... ३५-३५६ । “पञ्चनद्यः का अर्थ .... ... ८६ धातुओका ज्ञान ... ... ३७३ परदेका रिवाज २४३-२८४ धान्य, चावल, गेहूँ श्रादि . २५% पतिपत्नी समागम ... ... धार्मिक युद्ध ... ... ... ३४५ पतिपत्नीका सम्बन्ध ... ... २३७ ध्यान और साक्षात्कार .... 8 पतिव्रता धर्म ... ... ... २३८ नकुलका श्राख्यान ... ... २४- पति-पत्नीका अभेद्य सम्बन्ध .... २३६ नक्षत्र चक्रमे ग्रहोंको समझना ... १३४ ' पतंजलि महाभारतके बादका है . २१८ ५१५
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महाभारतमीमांसा