पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/६२८

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
६००
महाभारतमीमांसा

६०० • महामारतमीमाला. मारा जाय, हिंसा तो होगी ही। बेहतर है बीच एक बड़ी नदी बहती थी, इससे कि प्रांततायीको ही मारो; क्योंकि, भात- ब्रिटिश सेना फ्रेंचों पर धावा नहीं कर तायीके हाथसे मरनेमें हिंसातोहोती ही है सकती थी। उस समय जनरल बुल्फले और अधर्मको उत्तेजन भी मिलता है। एक उपाय किया। उसने अपनी सेनाके इसलिए धर्मशालने अहिंसा धर्मके लिए दो विभाग किये और एक विभाग चौक अपवाद रखा है कि 'आततायिनमायान्तं | सामने हीरखा और दूसरा विभागरातको हन्यादेवाविचारयन्।। इण्डियन पिनल अँधेरेमें नावों द्वारा नदी पार करके दूसरी कोड (हिन्दुस्थानके दण्ड संग्रह) में खूनके ओर भेज दिया। वहाँ नदीका किनारा लिए जो अपवाद रखे हैं, वे सब धर्मः कम चट्टानोंका था इसलिए फ्रेंचोंको डर शाखाके अनुसार ही हैं। सारांश यह है था कि कदाचित शत्रु इस मार्गसे पावा कि अहिंसा, सत्यवचन, अस्तेय आदि करे, इसलिए उनकी एक पल्टन यहाँ गई धर्मों के कुछ अपवाद-प्रसंग है और उन भी थी। ज्योही ब्रिटिश सिपाही चट्टानपर प्रसंगों में इन धर्मोंका त्यागना निंद्य नहीं। चढ़कर ऊपर आये,त्योंही आगेके सिपाही- द्रोणके वधके प्रसंगका ही उदाहरण से फरासीसी चौकीदारने पूछा कौन है ? लीजिये। जो अल नहीं जानते थे उन्हें वह सिपाही एक होशियार हाइलैंडर द्रोण अधर्मसे अस्त्र द्वारा जानसे मारते था । उसने तुरन्त ही जवाब दिया-'ला थे। अधर्मके कारण पांचाल-सेनाकी फ्रान्स' फ्रेञ्चोंका सिपाही। चौकीदारने सफाई हो रही थी । इस प्रसंगमें श्रीकृष्ण- फिर पूछा, किस रेजिमेंटके हो ?' हाइले- ने सलाह दी कि दोणको कपटसे मारना एडर अच्छा वाकचतुर और निडर आदमी चाहिए और अश्वत्थामाके मरनेकी झूठी था। उसने निधड़क जवाब दिया--"डीला- गप्प फैलाकर घुड्ढेका हाथ बंद करवाया। रीन"-'रीन रेजिमेन्ट'। उसका ऐसा इस मौके पर श्रीकृष्णने धर्मराजसे कहा बेधड़क जवाब सुनकर चौकीदार चुप कि पाँच प्रसंगोंमें झूठ बोलना न पाप है। रहा । फिर अंग्रेजोंके दस पाँच सिपाही न पुण्य । इसमें संदेह नहीं कि किसी बिना अडचन और भयके ऊपर चढ़ आये। नीति या धर्मका विचार करनेवाला चढ़ते ही उन्होंने पहले उस चौकीदारको उपर्युक्त बातको अवश्य मान्य करेगा। और फिर उसके साथवाले सिपाहियोको एक ऐतिहासिक उदाहरण ।। | कतल किया। जनरल वुल्फकी सब फौज सहजमें ही कुशलपूर्वक ऊपर चढ़कर नदी- यहाँ तुलनाके लिए द्रोणवधके समान के दूसरे पार आ गई और उसने क्वेवेकके एक और मनोरंजक वृत्तान्त हम इतिहास- पासकी फ्रेंच सेनाके पिछले भाग पर से लेते हैं। अठारहवीं सदीमें जब अंग्रेजों चढ़ाई करके उसे हराया। इस लड़ाई में और केंचोंका युद्ध शुरू हुआ, तब जनरल वुल्फ मारा गया, परन्तु लड़ाईकी ब्रिटिश शूर सेनापति जनरल वुल्फने विजय-वार्ता सुननेतक उसने प्राण नहीं क्वेवेककी लड़ाई जीतकर कनेडाका प्रान्त छोड़े। यहाँ यह विचारणीय है कि उस अपने कबजेमें कर लिया। इस युद्ध के हाइलैंडरने झठ बोलकर जो चौकीदार- समय क्वेबेक फ्रेंच लोगोंके अधीन था, की जान ली सो उसका कृत्य निंच है या और उस शहरके बाहर उनकी सेना प्रशंसनीय है ? Every thing is faler लड़ती थी। उनके और ब्रिटिश सेनाके | in war न्यायसे यह प्रशंसनीय ही है।