ॐ महाभारतके कर्ता ३१ - - - कर्ण और अर्जुनका भीषणं संग्राम होगा ने सदोष आचरण क्यों और कैसे किया, और उस समय कर्ण शल्यको ही अपना इसके सम्बन्धमें कुछ कारणोंका बताना सारथी बनावेगा? इसकेसिवा, इस प्रकार आवश्यक होता है। जैसे, पाँच पाण्डवोंने विश्वासघात अथवा मित्रघातका उपदेश एक द्रौपदीके साथ विवाह कैसे किया, युधिष्ठिर द्वारा किया जाना स्वयं उसके भीमने दुःशासनका रक्त कैसे पिया, . लिये, और शल्यके लिये भी, लज्जास्पद इत्यादि कुछ कार्य ऐसे हैं जो दोष है। सारांश, इस प्रकार आगे होनेवाली देने योग्य देख पड़ते हैं और जिनके बातोंका भविष्य-कथन करनेका सौतिका सम्बन्धमें कुछ कारणोंका बताया जाना यह प्रथा अनुचित है। इसके सिवा एक अत्यन्त श्रावश्यक हो जाता है। सौतिने और बात है। दुर्योधनके पक्ष में शल्यके महाभारतमें ऐसी दन्तकथायें शामिल कर मिल जानेका कारण यह था कि वह दी हैं जिनमें इन घटनाओंके कुछ कारण 'अर्थस्य पुरुषो दासः' की नीतिके अनु- ग्रथित किये गये हैं। किसी किसी कथा- सार दुर्योधनका श्राश्रित हो गया था। भागके प्रसङ्गमें यह भी देखा जाता है कि उसके विषयमें जो यह वर्णन किया गया। स्वयं व्यासजी वहाँ आकर भिन्न भिन्न है, कि युधिष्ठिरकी ओर जाते हुए बीच- व्यक्तियोको उपदेश देते हैं अथवा उन्हें में ही उसे सन्तुष्ट करके दुर्योधनने अपने आगे होनेवाली कुछ बातोंकी सूचना पक्षमें मिला लिया, वह असम्बद्ध है। ' करते हैं । जिन जिन स्थानों में ऐसे वर्णन आगे यह बात भी नहीं पाई जाती कि पाये जाते हैं वे व्यासजीके मूल भारतमें कर्णका तेजोभङ्ग हुश्रा और इसी कारण न होकर मोति द्वाग पीछेसे शामिल किये वह मारा जा सका। ग्रन्थमें यह वर्णन गये हैं । जैसा कि एक प्रसङ्गमें व्यासजी ही नहीं है कि इस तेजोभङ्गके कारण कर्णने श्राकर धृतराष्ट्रसे कहते हैं कि ज्यों ही अपनी शूरतामें कुछ कमी की। इसके बदले दुर्योधन पैदा होत्योंही उसेगङ्गाजीमें डाल शल्यने उचित समय पर कर्णको यह देना । यह प्रसङ्ग भी पीछेसे रचा हुआ सुझा दिया कि निशाना ठीक न होने मालूम होता है । अस्तु: इस प्रकार तीन के कारण तेरा बाग नहीं लगेगा इसलिये चार कारणोंसे सौतिने महाभारतका जो तू ठीक ठीक शरसन्धान कर । अर्थात्, विस्तार किया है वह विशेष रमणीय नहीं यही वर्णन पाया जाता है कि शल्यने देख पड़ता। हम स्वीकार करते हैं कि मित्रघात नहीं किया। यथार्थमें भविष्य- इस बातका निर्णय करना बहुत कठिन है कथनके इस भागको सौतिने व्यर्थ कि महाभारतमें वे सब स्थान कौन कौन- बढ़ा दिया है । इसके और भी उदाहरण से हैं जो इस प्रकार पीछेसे जोड़े गये हैं। आगे चलकर दिये जायेंगे । सारांश, तथापि जब इस बातपर ध्यान दिया भनेक अप्रबुद्ध परन्तु प्रचलित कथाओंको जाता है कि भारतके २४००० श्लोकोंके सौतिने महाभारतमें पीछेसे शामिल कर स्थानपर महाभारतमें एक लाख श्लोक दिया है। हो गये हैं, तब इसमें सन्देह नहीं कि इस प्रकार मया जोड़ा और बढ़ाया हुआ (९) कारणों का दिग्दर्शन। भाग बहुत अधिक होना चाहिये। यह अन्तिम दोष-स्थान कारणोंका दिन्द- बतला देना आवश्यक था कि सौतिने र्शन करना है। पूर्व कालके प्रसिद्ध पुरुषों- इस भागको क्यों बढ़ाया है अर्थात् महा-
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