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महाभारतमीमांसा
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स्यालकोटके पास था: और तक्षशिला ४१ सगड ७६ मेरुभूत रावलपिण्डीके पास थी। बम्बई प्रान्तके ४२ विदर्भ x ८० उपावृत्त तीन शहरोंका उल्लेख हुश्रा है-द्वारका, ४३ रूपवाहिक ८१ अनुपावृत्त भरुकच्छ (भडौच) और शूर्पारक ४४ अश्मक x २ खराष्ट्र ४ (सोपारा, जो वसईके पास है)। ये तीनो ४५ पाण्डुराष्ट्र ३ केकय x शहर अब भी मौजूद हैं । इनके सिवा ४६ गोपराष्ट्र x ८४ कुन्दापरान्त अन्य जिन शहगेका उल्लेख हुआ है, वे ४७ कागति ८५ माहेय विदर्भके कौडिन्यपुर और भोजकट है। प्राधिराज्य ६ कक्ष ये श्रमगवतीके पास होंगे। कुशाद्य ८७ समुद्रनिष्कुर भरतखण्डके देशोंके नाम, : ५० मल्लराण अान्ध्र । ५. वाग्वाम्य ६ अन्तर्गिर्य भीष्म पर्व अध्याय ३। जो देश !

५२ यवाह

१० यहिनिर्य नकशे पर दिखलाये गये हैं, उन पर x ५३चक्र अङ्ग () चिह्न कर दिया है। जिन पर कोष्ठक () ५४ चक्राति ६२ मलय लगाया है, उनका नाम दो बार आया है। ५५ शक ६३ मगध आर्यभागके अथवा उत्तर ५६ विदेह x ६४ मानवर्जक ओरके देश। ५७ मगध x ६५ समन्तर ५ः स्वक्ष ६६ प्रावृषेय १ कुरु x २१ दशार्ण x ५हमलज ६७ भार्गव २ पाञ्चाल x २२ मेकल ६० विजय ६८ पुण्ड ४ ३ शाल्व २३ उत्कल x ६१ अङ्गx ६६ भर्ग ४ माद्रेय २४ पाञ्चाल १०० किरात पशूरसेन x २५ कोमल x १३ कलिङ्ग १०१ सुदृष्ट ६ पुलिन्द x २६ नैकपृष्ठ १४ यकृल्लोम x १०२ यामुन ७बोध २७ धुरन्धर ६५ मल्ल २०३ शक माल २८ गोध :१६ सुदेष्ण १०४ निषाद मत्स्य ४ २६ मद्र * ६७ प्रह्लाद १०५ निषधx १० कुशल्य ३० कलिङ्ग () ६% माहिक १०६ श्रानx ११ सौशल्य ३. काशि x शशिक १०७ नैर्ऋत १२ कुन्ति ३२ अपरकाशि ७० बाल्हिकx १०८ दुर्गाल १३ कान्तिकोशल ३३ जठर ७१ वाटधान x १०६ प्रतिमत्स्य १४ चेदि x ३४ कुकुर ७२ आभीरx ११० कुन्तल () १५ मत्स्य () ३५ दशार्ण () ७३ कालतोयक ११. कोसल () ३६ कुन्ति () ७४ अपरान्त x ११२ तीरग्रह १७ भोज # ३७ अवन्ति x ७५ परान्तx ११३ शूरसेन () १८ सिन्धु x ३८ अपरकुन्ति ७६ पाञ्चाल () ११४ ईजिक १६ पुलिन्दक ३६ गोमन्त ७७ चर्ममण्डल ११५ कन्यकागुण २० उत्तम ४० मन्दक 19 अटवीशिखर ११६ तिलभार