- महाभारतमीमांसा
है। यह देश मैसूरके उत्तर ओर है। वन- प्राचीन व्यापार" विषय पर (सन १८७० वालीब्राह्मण अबतक प्रसिद्ध है । कबाड़-के मदरास जर्नलमें) एक लेख लिखा था। केपासका कुन्तल देश होगा । इनके अति- उसमें लिखा है कि-"अलेक्जेंडरके बाद रिक्त, महाभारतकी दक्षिण ओरकी सूची- कराचीके पास, गुजरातमें, और माला- के अन्य देश हम निश्चयपूर्वक नहीं बतला बार किनारे पर तीन शहर स्थापित किये सकते । यह निश्चयपूर्वक कहा जा सकता गये थे। अन्तके शहरका नाम ब्यजनशम् है कि, इस देशमें महाभारत-कालमें पार्यो- था।" इसी शहरका नाम महाभारत- की बस्ती हो चुकी थी। परन्तु शायद कालमें भरतखण्डमें 'यवनपुर' प्रसिद्ध वह इतनी बड़ी न होगी कि इस देशकी होगा, जिसे सहदेवने जीता था। द्राविडी भाषा बन्द हो जाती; और कृष्णा- दक्षिणके इन लोगोंकी सूची में कुछ के उत्तर ओरके प्रदेशकी भाँति वहाँ भी विचित्र लोगोंके नाम आये हैं, परन्तु वे आर्य भाषाओका प्रचार हो जाता। यही दिग्विजयके वर्णनमें हैं। ऊपर बतलाये कारण है महाभारत-कालमें यहाँ द्रविड़ हुए वानरोके अतिरिक्त एकपाद और भाषा प्रचलित थी: और इसी लिए यह कर्णप्रावरण लोग तथा पुरुषाद भी बत- प्रान्त देशोंकी सूचीके हिसाबसे महा- लाये गये हैं । महाभारत-कालमें ये लोग भारतमें अलग गिना गया है। काल्पनिक ही माने गये होंगे । एक पैरके, अब हम दक्षिण पोरके उन देशोंका कानसे अपनेको ढक लेनेवाले, और विचार करेंगे जिनको दिग्विजयमें सह- मनुष्योकोखानेवाले लोगमहाभारत-काल देवने जीता था। इनमें अनेक देश हैं, जो में प्रत्यक्ष न होंगे। इस कारण उनके नाम भीष्म पर्वके देशोंकी सूची में नहीं हैं। भीष्म पर्वकी सूची में नहीं दिये गये हैं। नर्मदाके उत्तर अोर सेक और अपरसेक पश्चिम ओरके देश । नामक दो देश बतलाये गये हैं। इसके अब यह देखना चाहिए कि पश्चिम बाद अवन्तिका नाम बतलाकर भोजकट ओरके देश और लोग कौनसे थे । पश्चिम और कोसलदेश बतलाये गये है। किष्कि- पोरके देशोंकी सूचीमें सिन्धु, सौवीर धामें मैंद और द्विविद बानरोंके साथ और कच्छ देश हैं । सिन्धु आजकलका युद्ध होनेका वर्णन है । इसके बाद माहि- सिन्ध प्रान्त है। इसके और काठियावाड़- ष्मती नगरी बतलाई गई है। यह नर्मदा के बीचका प्रान्त सौवीर है, जो समद्र पर होगी। अर्थात् सहदेव फिर लौट किनारेसे मिला हुआ है। इसी में आज- आये: और लिखा है कि, पहले बतलाये कलका कराँची बन्दर होगा। इसीका हुए लोगोंके अतिरिक्त उन्होंने कोकणमें नाम बाइबिलमें श्रॉफीर कहा गया है। शूर्पारक, तालाकट (कालीकट), दण्डक, पश्चिम और इन्हीं प्रान्तोसे समुद्र के द्वारा करहाटक, आन्ध्र, यवनपुर भी जीते। खूब हेलमेल था। बाइबिलमें कहा है कि यहाँ यवनपुरका उल्लेख कैसे आया. सोना, मोर और वानर इन प्रान्तोंसे इसका हमें विचार करना चाहिए । इति- पाया करते थे। कच्छ देश आजकलका हासमें यह प्रमाण मिलता है कि, अलेक्- कच्छ प्रसिद्ध ही है। इसका नाम अनूप जेंडरकी चढ़ाई के बाद यवनोंने पश्चिम भी दिया गया है। सिन्धु, सौवीर और समुद्र पर दो तीन जगह शहर स्थापित कच्छके उत्तर और गान्धार देश सिन्धुके किये थे। "गस्टॅत्र प्रॉपर्ट" ने “दक्षिणका आगं था, यह भी प्रसिद्ध है । इसकी