३६६ 8 महाभारतमीमांसा - - जो तीर्थयात्रा बतलाई है, उसमें प्रभास- पाता है । इन अनेक ग्रन्थोंसे यह मालूम तीर्थ सुराष्ट्र देशमें ही समुद्र किनारे पर होता है कि अपरान्त हालका उत्तर बतलाया है। इससे जान पड़ता है कि कोकण है। अपरान्तका मुख्य शहर सुराष्ट्र काठियावाड़ ही है। अब प्रानर्त देश प्राचीन कालमें शुर्पारक था । उसको कौनसा है ? इस विषयमें थोड़ासा मत- अाजकल सोपारा कहते हैं । शूर्पारकका भेद होगा । परन्तु श्रानर्त आजकलका नाम प्राचीन बौद्ध ग्रन्थोंमें भी प्रसिद्ध उत्तर गुजरात देश है: क्योंकि धौम्यके है । पाण्डवोंकी तीर्थयात्राके वर्णनमें बतलाये हुए इसी तीर्थयात्राके वर्णनमें, शूरकका नाम पाया है। लिखा है कि पश्चिम पोरके श्रानर्त देशमै पश्चिमवाहिनी उन्होंने यहाँ यात्रा की; और भीतर नर्मदा नदी बतलाई गई है । अतएव : सह्याद्रिकी ओर जाकर परशुरामकी वेदी- आजकलके गुजरातके मुख्य दश प्रानर्त । के दर्शन किये । परशुरामको बस्तीका और सुराष्ट्र उस समयकं प्रसिद्ध देश स्थान पूर्व पोर महेन्द्र पर्वत पर था; और हैं। इनमें आर्योंकी बस्ती बहुत प्राचीन । वहाँ वैतरणी नदी तथा भूमिकी दी कालमें हो गई थी। यह सम्भव नहीं कि थी। परन्तु उपर्युक्त वर्णनसे यह जान ऐसा उपजाऊ देश बहुत समयतक आयो- पड़ता है कि परशुरामको अन्य स्थान की बस्तीके बिना बना रहे । अर्थात् , यहाँ- पश्चिम किनारे पर महाभारत समयके की आर्य बस्ती बहुत पुरानी है। जिन पहले दिया गया था। अब भी इस जगह, गुर्जर लोगोंने इस देशको अर्वाचीन अर्थात् सोपाराके पूर्व और पहाड़में, कालमें अपना नाम दिया है, वे लोग वैतरणी नदी और परशुरामकी वेदी अवश्य ही उस समयतक इस दशमं नहीं वजेश्वरीके पास लोग दिखलाते हैं । पाये थे, ऐसा अनुमान निकालनेके लिए तात्पर्य यह है कि शारक क्षेत्र बहुत पुराना स्थान है । इस प्रश्नका इस ग्रन्थसे कोई है और वह अपरान्तमें मुख्य था। अप- सम्बन्ध नहीं, कि गुर्जर लोग आगे चल गन्तका नाम महाभारतमै अन्यत्र दो कर कब आये; और वाय थे अथवा। जगह पाया हुश्रा है। इसमें कुछ सन्दह आर्येतर थे । अतएव हम इस प्रश्नको नहीं कि अपरान्तसे मतलब थाना जिलेस यहीं छोड़ देते हैं। हाँ, इतना अवश्य ही । है। और इसी दृष्टि से, पगन्तको वर्त- अपना मत हम यहाँ लिख देते हैं कि वे मान सरतका जिला मानना चाहिए। आर्य हैं और ईसवी सन्के ४०० वर्ष पूर्व अपगन्तक महाभारत कालम आर्योकी बस्ती हो गई थी। द्रोण पर्वमें एक जगह समुद्रके किनारे किनारे उत्तरसे एक एसे हाथीका वर्णन किया गया है, नर्मदातक आर्योकी बस्ती हो गई थी। जो अपरान्तमें उत्पन्न हुआ था और जिसे यही नहीं, किन्तु महाभारत कालमें वहाँके हस्तिशिक्षकोंने सिखाया था। मर्मदाके दक्षिण और वर्तमान थाना इससे जान पड़ता है कि थाना जिलेके प्रान्ततक भी बस्ती हो गई थी। इस ओर- जङ्गलमें उस समय हाथी बहुत थे और के दो देश महाभारतने उत्तर देशोंकी लड़ाईके काममें वे बहुत प्रसिद्ध थे । गणनामें परिगणित किये हैं। वे दो देश कानडा जिले और मैसूरके जगलमें अब परान्त और अपरान्त हैं । अपरान्तका भी हाथी मिलते हैं । जो दृसरा उल्लेख नाम महाभारतकं बादके अनेक ग्रन्थों में महाभारतमें अपरान्तके विषयमें है, वह
पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/४२४
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
३९६
महाभारतमीमांसा