पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/३७५

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® सेना और युद्ध । ® ३४६ स्वयं उसका ही नाश हो जाता था। बरछी और 'चक्र' बहुत तेजस्वी और गजसेनासे लड़नेकी पहली युक्ति जो नाश करनेवाले थे। दोनों हथियारोंका सिकन्दरने खोज निकालो वह यह है। भारती आर्य उपयोग करते थे । शक्ति- बाण चलानेवालोंके कवच न पहने हुए की अपेक्षा चक्र अधिक दुरतक जाता पदातियोंको यह आज्ञा दी गई थी कि वे था। चक्र का उपयोग इस समय भी दूरसे पहले हाथियोंके महावतों पर पंजाबके सिक्ख लोग करते हैं। परन्तु बाण चलावें और उन्हें मार गिरावें। चक्रसे धनप्यबाणकी शक्ति अधिक। फिर कवच पहने हुए पदाति हाथियोंके बाण, मनुष्यके जोर पर एक मील भी पैर काट डाले अथवा उन्हें घायल करें। जा सकता है। प्राचीन समयमें धनुष्य- सिकन्दरने खास तौर पर लंबी और बाणकी विद्या प्रार्य लोगोंने बहुत उन्नति- बाँकुरी तलवारें बनवाई थी जो उस को पहुंचाई थी। धनुष्यबाणके उपयोग- फौजको दी गई थीं। इन तलवारोंसे में विशेष सुबिधा थी। बरछी या चक्र हाथियोंकी मुंडे काटनेकी श्राशा थी। फिरसे लौटकर हाथमें नहीं आता और इस रीतिसे सिकन्दर गजसेनाका परा- कोई आदमी बहुत सी बरछियों या चक्रो- भव किया करता था । यह बात महा- को अपने हाथमे ले भी नहीं सकता। भारतके अनेक युद्ध वर्णनोंसे देख पड़ती परन्तु कोई योद्धा दस बीस बाणोंको है कि गजसेना जिस प्रकार शत्रक लिए । स्वयं अपने पास रख सकता था श्रीर भयंकर थी उसी प्रकार म्वपक्षके लिए अनेक बाणोंको गाड़ियों में भरकर अपने भी भयंकर अर्थात हानिकारक थी। साथ ले जा सकता था। अाजकल जिस रथी और धनुष्यबाण। प्रकार बारूद और गोलोकी गाड़ियाँ भारती-कालमें रथी सबसे अधिक फौजके साथ साथ रखनी पड़ती है, उसी अजेय योद्धा हुआ करता था। वर्तमान प्रकार पूर्व समयमें भी बाणोंकी गाड़ियाँ कालके लोग ग्थीके महत्वकी कल्पना रखी जाती थीं। इस कारण रथोकी उप- नहीं कर सकते। इस विषयकी कुछ भी योगिता धनुष्यबाणका उपयोग करनेवाले कल्पना नहीं की जा सकती कि वे किस योद्धाओंके लिए बहुत थी। इसके सिवा प्रकार युद्ध करते थे और इतना प्राणनाश रथ अनेक स्थानों पर जोरसे चलाया जा करनेका सामर्थ्य उनमें क्योंकर था। सकता था और वहाँस शत्र पर बाणों कारण यह है कि आजकल कहीं ग्थ- द्वारा हमला करने में योद्धाओंके लिए रथ. का उपयोग नहीं होता और धनुष्यबाण- का बहुत उपयोग होता था। प्राचीन समय- का भी अब नामनिशान मिट गया है। में सब लोगोंको धनुष्यबाणकी जानकारी अब तो धनुष्यबाणके स्थान पर बंदुक थी और रथोकी भी कल्पना सब लोगोंको और गोली मा गई है । प्राचीन कालमें थी। होमर द्वारा वर्णित युद्ध से मालम धनुष्यबाण ही सब शस्त्रोंमें दूरसे शत्रुको ; होता है कि यूनानियोंमें रथी भी थे घायल करने अथवा मार डालनका और रथ-युद्ध हुआ करते थे । परन्तु अस्त्र था । इस कारण उस समय यूनानियोंके ऐतिहासिक कालके युद्धों में शस्त्रास्रोंमें धनुष्यबाणका नम्बर पहला : रथोका वर्णन नहीं मिलता । इजिपशियन् था । अलों अथवा फेंककर मारनेके लोगों में बहुत प्राचीन समयमें लड़ाईके हथियारोमें दो हथियार-'शक्तिः अथवा ग्थके उपयोग करनका वर्णन है: असी.