पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/३७३

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® सेना और युद्ध । 8 शत्रुओंके छिद्रोंको पहचान सकना चाहिए जैसे प्रास (भाला), परशु (कुल्हाड़ी), (शां० अ०८५-१३)। भिंडीपाल, तोमर, ऋष्टी और शुक्ल । यह चतुरङ्ग दलके सिवा फौजके और नहीं बतलाया जा सकता कि भिंडीपाख चार महत्वपूर्ण विभाग थे। उन्हें विष्टि आदि हथियार कैसे थे। खह एक छोटी (ट्रान्स्पोर्ट), नौका, जासूस और देशिक तलवार है। गदा नामक आयुध पदा- कहा गया है। इनमेंसे 'विष्टि सब प्रकार- तियोंके पास न था, क्योंकि इस मायुधः के सामानको लादकर ले जानेकी व्यवस्था का उपयोग करनेके लिए बहुत शक्तिकी और साधनोंको कहते हैं । इस बातका आवश्यकता होती थी । इस आयुधका महत्व पूर्वकालीन युद्धोंमें भी बहुन बड़ा उपयोग द्वन्द्व-युद्ध में किया जाता था। था । बाणों और प्रायुधोंसे हजारों गाड़ियाँ | इसी तरह हाथियोंसे लड़नेके समय भी भरकर साथ ले जाना पड़ता था। 'नौका' गदाका उपयोग होता था। गदाका उप- में, समुद्र तथा नदियोंमें चलनेवाली योग विशेष बलवान् क्षत्रिय लोग ही नौकाओका समावेश होता है। प्राचीन किया करते थे। घुड़सवारोके पास तल- समयमें नौकानोसे भी लड़नेका अवसर वार और भाले रहते थे । भाला कुछ आता होगा । उत्तर हिन्दुस्थानकी नदियाँ अधिक लम्या रहता था । इस बातका बड़ी बड़ी हैं और उन्हें पार करने के लिए वर्णन है कि गान्धारके राजा शकुनीके नौकाओका साधन आवश्यक था। समुद्र पास दस हजार अश्वसेना विशाल नुकीले किनारके राष्ट्रोंमें बड़ी बड़ी नौकाओका भालोसे लड़नेवाली थी। लड़ाई के लिए और सामान लाने-ले जाने-अनीकं दशसाहस्रमश्वानां भरतर्षभ। के लिए उपयोग किया जाता होगा। प्रासीद्गांधारराजस्य विशालप्रासयोधिमाम्॥ 'जासूसों का वर्णन पहले कर ही दिया (शल्य पर्व अ० २३) गया है। लड़ाई में उनका बड़ा उपयोग घुड़सवारोंकी लड़ाईका वर्णन इस होता है । इस बातकी अच्छी तरह कल्पना स्थान पर उत्तम प्रकारसे किया गया है। नहीं हो सकती कि 'देशिक' कौन थे। दोनों प्रतिपक्षियोंके घुड़सवार जब एक उनका वर्णन भी ठीक ठीक नहीं किया दूसरे पर हमला करते करते आपसमें गया है । तथापि कहा जा सकता है कि भिड़ जाते हैं, तब भालोको छोड़कर ये लोग स्काउट्स अर्थात् भिन्न भिन्न बाहयुद्ध होने लगता है और एक घुड़- मौकों पर आगे जाकर रास्ता दिख- सवार दुसरको घोड़े परसे नीचे गिराने- लामेवाले और शत्रुओका हाल बतानेवाले का प्रयत्न करता है । यह सम्भवनीय नहीं होंगे। फौजके ये समस्त पाठो अङ्ग निम्न मालूम होता कि प्रत्येक आदमीके पास लिखित श्लोकमें बतलाये गये हैं। कवच रहता हो । कवचका अर्थ जिरह- रथा नागा हयाश्चैव पादाताश्चैव पाण्डव। बख्तर है। यह बहुधा भारी रहता है और विष्टिनावश्चराश्चेव देशिका इति चाष्टमः॥ यदि हलका हो तो उसकी कीमत बहुत (शान्ति पर्व श्र०५६) होती है। इस कारण पैदल और घुड़- पैदल और घुडसवार। सवारोंके पास कवच न रहता था। पदाति या पैदल सेनाके पास रहने-तथापि ऐसे पदातियोंका भी वर्णन है बाले आयुध ढाल और तलवार थे। इनके जिन्होंने कवच पहना हो । रथी और सिवा अन्य प्रायुध भी बतलाये गये हैं. हाथी पर बैठनेवासे योद्धाके पास हमेशा