पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/३७१

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३४५ - ® सेना और युद्ध । ® इसका प्रकरण। घातकी कल्पना हो जायगी कि प्राचीन कालकी युद्ध-पद्धति कितनी सुधरी हुई थी और वर्तमान पाश्चात्य सुधरे हुए सेना और युद्ध। राष्ट्रोंके युद्ध-नियमोंके समान ही उस भारतीय कालमें भिन्न भिन्न राज्यों में पद्धतिके बारेमें भी अपने मनमें कैसा - स्पर्धाके कारण युद्ध-प्रसङ्ग बरा- आदर-भाव उत्पन्न होता है। बर उपस्थित हुआ करते थे। इसलिप. भारती प्रत्येक राष्ट्रमें प्राचीन समयमें कुछ न सेनाकी व्यवस्था बहुत ही उन्नतावस्थाको कुछ फ़ौज हमेशा लड़नेको तैयार रहा करती पहुँच गई थी और उसके युद्ध के प्रकार थी। समय पर अपनी खुशीसे सैनिक होने- भी बहुत कुछ सुधर गये थे । परन्तु सब-के नियम उस समय भी प्रचलित न थे। में विशेष बात तो यह है कि युद्ध आपस- क्योंकि उन दिनों युद्ध-शास्त्रकी इतनी में आर्य लोगोंमें ही होते थे, अतएव युद्ध- उन्नति हो गई थी, कि प्रत्येक मनुष्य के तत्त्व, धार्मिक रीतिसे चलनेवाले अपनी इच्छाके अनुसार जब चाहे नव वर्तमान समयके उन्नतिशील राष्ट्रोंकी तलवार और भाला लेकर युद्धमें शामिल युद्ध-पद्धतिके अनुसार ही, नियमोसे बँधे नहीं हो सकता था । प्रत्येक सिपाहीको हुए थे । धर्म-युद्धका उस समय बहुत कई वर्षतक युद्ध-शिक्षा प्राप्त करनेकी आदर था और धर्म-युद्ध के नियम भी ज़रूरत थी। सेनाके चार मुख्य विभाग निश्चित थे। कोई योद्धा उन नियमोका थ-पदाति, अश्व, गज और रथ । उल्लंघन नहीं करता था । यह पद्धति अर्थात् प्राचीन समयकी फौजको चतुरंग महाभारतके समयमें कुछ बिगड़ी हुई दल कहते थे। आजकल सेनाएँ व्यंग देख पड़ती है। इसका कारण यनानी हो गई हैं क्योंकि गज नामक अंग अब लोगोंकी युद्ध-पद्धति है। पाश्चात्य देशो- लुप्त हो गया है। इस कारण आजकल में भी इस समय युरोपियन राष्ट्रोंके सेनाओंको 'थ्री प्रार्स' कहनेकी रीति है। बीच जप युद्ध शुरु हो जाता है, तब दया गजरूपी लड़नेका साधन प्राचीन समयमें और धर्मके अनुकूल जो नियम निश्चित बहुत भयदायक था। अन्य लोगोंको हिन्दु- किये गये हैं, उनका बहुधा अतिक्रमण स्थानी फौजोसे, हाथियोंके कारण ही, नहीं होता। परन्तु वही युद्ध जब किसी बहुत भय मालूम होता था । केवल एक यूरोपियन और एशियाटिक राष्ट्रके सिकन्दरकी बुद्धिमत्ताने इस भयको दूर बीच शुरू होता है, तब दूसरे ही नियमो- कर दिया था। फिर भी कई सदियोतक, से काम लिया जाता है। इसी प्रकार अर्थात तोपोंके प्रचलित होनेके समयतक, यूनानियोंने एशियाटिक राष्ट्रोसे युद्ध गजोंकी उपयुक्तता लड़ाईके काममें बहुत करते समय करताके नियमोका अवलम्ब कम नहीं हुई थी। सेल्यूकसने चन्द्र- किया और परिणाम यह हुआ कि स्वभा- गुप्त गजाको अपनी लड़की देकर ५०० वतः महाभारतके समयमें करताके कई हाथी लिये । इसी प्रकार यह भी वर्णन नियमोंका प्रवेश भारती-युद्ध-पद्धनिमें हो है कि फारसके बादशाह, रोमन लोगोंके गया । महाभारतमें सेनाका जो वर्णन विरुद्ध लड़ते समय, हाथियोंका उप- किया गया है और धर्म-युद्ध के जो नियम योग करते थे। तैमूरलंगने नुकौके घमंडी बतलाये गये हैं, उनसे पाठकोको इस और बलाढ्य मुलतान बजाजनको जो