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महाभारतमीमांसा

ॐ महाभारतमीमांसा पान, और स्त्रियाँ, राजाके आचरण, जाने कब शत्रुका धावा हो जाय । यदि पोशाक और आभूषणोंका वर्णन करते शत्रु एकाएका जाय तो उसका सामना हुए शरीरको सुदृढ़ करनेके बहत्तर करनेके लिए किलोसे बहुत लाभ होता प्रकारोंका वर्णन किया गया है । उद्योग, था। महाभारतमें छः प्रकारके किले बत- धर्माचरण, सजनोंका आदर, बहुश्रुत लाये गये हैं। प्रथम, निर्जन रेतीले मैदान- लोगोंसे संभाषण, सत्य और मृदु वचन, से घिरा हुआ किला: दूसरा पहाड़ी उत्सव और सभा श्रादिका भी वर्णन है। किला: तीसरा भूदुर्ग ( जमीन परका) यह भी कहा गया है कि राजा स्वयं अपने किला: चौथा मिट्टीका किला: पाँचवाँ सेवकोका काम जाँचे, दण्डनीय पुरुषोंको नर-दुर्ग और छठा अरण्य-दुर्ग। नर-दुर्ग सज़ा दे और राष्ट्रके विस्तार तथा केवल अलङ्कारिक नाम है। नर-दुर्ग यानी उत्कर्षके सम्बन्धमें विचार करे। इसमें पलटनको छावनीसे घिरा हुआ राजाके भिन्न भिन्न जातियोंकी शुरता-करता रहनेका स्थान: अर्थात इस दुर्गमें सारा आदि गुण-दोषोंका तथा अनेक जातियों, । दार-मदार फौज पर यानी मनुष्यों पर देशों और लोगोंके रीति-रवाजोंका भी रहता है। भू-दुर्गके उदाहरण दिल्ली, वर्णन है । तात्पर्य यह है कि दण्डनीतिमें अागरा आदि स्थानोंमें अनेक हैं। मिट्टीके इस बातका सब प्रकारसे विचार किया किले (सह्याद्रिके) उच्च प्रदेशों में बहुत हैं। गया है कि राष्ट्र के लोग आर्य-धर्मके अनु- कोंकण प्रान्तमें पहाड़ी किले अनेक हैं। सार कैसे चलेंगे। उक्त वर्णनसे ज्ञात हो रेतीले मैदानके किले राजस्थान में हैं । वहाँ जायगा कि राजाके कर्तव्यों तथा राज- बचावका बड़ा साधन यही है कि शत्रुको संस्थाके भिन्न भिन्न अङ्गोकी जान- खुले मैदानमें से पाना पड़ता है। अरण्य- कारो भारत-कालमें कैसी थी । शान्ति दुर्गमें बचावका साधन यह है कि शत्रुको पर्षके राजधर्म-भागमें, सभापर्वके कश्चि- जङ्गल पार करके पाना पड़ता है। नर- अध्यायमें और महाभारतके अन्य अनेक दर्गका उदाहरण मराठोंके इतिहासमें भागोंमें, राजधर्म-सम्बन्धी जो बातें पूनेका ही है। जब बाजीराव किला बन- पाई जाती हैं, उनका वर्णन यहाँ चार वाने लगा, तब शाहने आशा की थी कि विभागोंमें किया जायगा:-पहला राज- तुम अपने बचावका दार-मदार किले पर न दरबार, दूसरा जमीनका महसूल, तीसरा! रखकर फ़ौज पर रखो। अस्तु;महाभारत- न्याय और चौथा परराज्य-सम्बन्ध । कालमें हर एक राज्यमें राजधानीका राज-दरबार। | बहुधा एक किला रहता था। उसके चारों ओर बड़ी खाई रहती थी, और खाईके पहले राज दरबारका विचार कीजिए। ऊपर ऐसे पुल रहते थे जो चाहे जिस हर एक राजाकी मुख्यतः रहनेकी समय निकाल दिये जा सकते थे और एक राजाधानी रहती थी। राजधानीसे रखे जा सकते थे। जब सिकन्दरने पजाब- लगा हुआ एक किला अवश्य रहताको जीता तब हर एक छोटे शहर और था। प्राचीन काल में राजधानी और राज्यके ऐसे ही किलोको उसे धावा राजाकी रक्षाके लिए किलेकी बड़ी करके लेना पड़ा। हर एक किलेमें अनाज आवश्यकता थी। भिन्न भिन्न राजा लोगों तथा शस्त्र भरपूर रखे रहते थे। शान्ति में सदा शत्रुता रहती थी, इसलिए न पर्वके ८६वें अध्यायमें विशेष रीतिसे