® सामाजिक परिस्थिति-वल । * २६६ साफा बाँध लेते हैं। हाँ, राजाओंके मस्तक वासिनी बार बार आता है। श्रीकृष्णके पर पगड़ी या साफ़ न थे। उनके मस्तक ' वर्णनमें भी पीताम्बर यानी रेशमी बस पर सदैव मुकुटका होना साहजिक है। , पहने रहनेका वर्णन कहीं कहीं मिलता जिस समय भीम और दुर्योधनका गदा- है । जिस समय अर्जुन पहलेपहल युद्ध हुआ, उस समय उन दोनोंके मस्तक ' सुभद्राको इन्द्रप्रस्थ में ले आये, उस समय पर मुकुट होनेका वर्णन है। और मालुम उसे लाल रेशमी कपड़ा पहनाया गया पडता है कि युद्धमें इस मुकुट पर भी था और इस पोशाकमें वह गोपकन्याली प्रहार होते होंगे । दुर्योधन जब नीचे गिर अँचती थी। गया तब उसका मुकुट हिलातक नहीं, सुभद्रां त्वरयामास रक्तकौशेयवासि- यह आश्चर्यकी बात है। बहुत करके नीम् । पार्थः प्रस्थापयामास कृत्वागीपा- मुकुटको खूब जमाकर बैठानेकी कुछ न लिका वपुः॥ कुछ व्यवस्था होगी। या तो सिरके नीचे . (श्रा० अ० २२१-१६) वह पट्टेसे बँधा रहता होगा या और कोई इससे देख पड़ता है कि गोपोंके बल इन्तज़ाम होगा। नीचे पड़े हुए दुर्योधनके और लोगोंसे कुछ जुदा रहे होंगे और माथेके मुकुट में भीमने लात मारी थी। उनकी स्त्रियोंकी साड़ी पहननेकी रीति भी इस वर्णनसे मुकुटके बँधे रहनेका ख़याल कुछ और ही तर हकी होगी। महाभारतसे होता है। इसी तरह अर्जुन और कर्णके जान पड़ता है कि लोग ऊनी कपड़े मी युद्ध-वर्णनमें भी लिखा है कि अर्जुनके : पहनते थे । उत्तरमें पञ्जाब और काश्मीर- माथेका मुकुट जब नीचे गिर पड़ा, तब के ठगढे प्रदेशमें ओढ़ने, पहनने या सिरसे उसने 'अपने सफेद कपड़ेको लपेटकर लपेटनेके लिये ऊनी कपड़े यदि व्यवहार- केशोंको छिपा लिया । (कर्ण० अ०६०) में लाये जाने थे तो इसमें आश्चर्य ही क्या इससे महाभारतके समयका यह ग्वाज है। उस समय भी सूक्ष्म कंबल-वस्त्रोके देख पड़ता है कि प्रत्येक मनुष्यके सिरमें लिए पञ्जाब और काश्मीर प्रसिद्ध थे। लपेटा हुआ वस्त्र-पगड़ी या साफ़ा- यह निर्विवाद है कि सूती कपड़े इनसे भी अवश्य रहना होगा। महीन होतं थे। “सानूनं बृहती गौरी र सून्मकंबलवामिनी" (क० अ०४४ श्लोक मृती, रेशमी और ऊनी कपड़े। '१६) इस वाक्यसे स्पष्ट देख पड़ता है कि साधारण रीतिसं ओढ़न, पहनने पञ्जाबमें महीन ऊनी कपड़े पहने जाते थे। और सिरमें लपेटनेके लिए ये कपड़े सूती इस प्रकार भिन्न भिन्न प्रान्तोंकी पाबहवा- होंगे। उस समय हिन्दुस्तानमें कपासको के अनुसार हिन्दुस्थानमें सूती और ऊनी फसल होती थी और मिश्र अथवा पर्शिया कपड़े पहने जाते थे। रेशमी वसोका देशमें उसकी फसल न होती थी। यह व्यवहार तो सभी स्थानोंमें रहा होगा। बात स्थानान्तरमें लिखी जायगी । अर्थात् यूनानियोको यह पोशाक देखकर बड़ा वल्कल। अचरज हुआ। ये कपड़े होते भी खूब इसके सिषा वस्त्रोके और भी कुछ महीन थे। परन्तु धनिक लोग और खास- 'भेद थे। ये वस्त्र वल्कल और अजिन थे। कर स्त्रियाँ रेशमी कपड़े पहनती थीं। इनको वैखानम, योगी अथवा अरगय- महाभारतमें खियोंका वर्णन पीनकौशेय- में रहनेवाले मुनि और उनकी पत्तियाँ
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