पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/१८७

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इतिहास किन लोगोंका है। * भी थोड़ा सा बुलासा किया जाता है। लोग हैं जिनको खोपड़ी चौड़ी है। वे माथेसे लेकर चोटीतक सिरकी लम्बाई फ्रेञ्च, केल्ट और आयरिश मादि लेते हैं और एक कानके ऊपरके हिस्से जातियाँ चौड़ी खोपड़ीवाली ही हैं। (कनपटी) से दूसरे हिस्सेतक चौड़ाई। अर्थात्, पार्यो में ऐसी कई जातियाँ है लम्बाईको अपेक्षा यदिचौड़ाईका परिमाण जिनकी खोपड़ी चौड़ी होती है । इसी बहुत कम निकले तो सिर लम्बा समझा प्रकार सिरका लम्बा होना भी आर्य वंश- जाता है। और, ये दोनों परिमाण यदि पास का मुख्य लक्षण नहीं है, क्योंकि द्रविड़ पास हो तो मझोले दरजेका समझा जातिका भी सिर लम्बा होता है । अत- आयगा और लम्बाईको अपेक्षा अगर एव नाकके परिमाणको ही मुख्य मानना चौड़ाई बिलकुल पास हो या बराबर हो चाहिये । आर्य जातिकी नाक ऊँची होती तो फिर सिर चौड़ा समझा जायगा। है, द्रविड़ जातिकी बैठी हुई होती है इस रीतिसे किसी जातिके कुछ लोगोंके और मङ्गोलियन जातिकी नाक इतनी सिर नापने पर सरसरी तौर पर जो चपटी होती है कि आँखोकी सीधमें अनुमान होता है, उसीसे यह परिमाण विशेष ऊँचाई नहीं होती अर्थात् जड़ में उस जातिका मान लिया जाता है। ऊपर- खूब फैली हुई होती है । चीनी और की ही बातोंसे यह सिद्ध होता है कि जापानी लोगोंके चपटे चेहरेको सभीने हिन्दुस्थानमें जो दूसरी जातिके चन्द्रवंशी देखा होगा । नाकके परिमाणका विचार आर्य श्राये, उनके मस्तक चौड़े थे। द्रविड करते समय यह बात निश्चित हो जाती है जातिवालोके मस्तकोंका परिमाण लम्बाहै। कि चन्द्रवंशी क्षत्रियोंकी खोपड़ी चौड़ी इससे प्रकट ही है कि इन लम्बे खोपडी- भी हो, तो भी ऊँची नाक होनेके कारण वालोका संमिश्रण जब चौड़ी खोपड़ी- वे आर्यवंशी ही हैं : उनका रङ्ग साँवला वालोंसे होगा तभी युक्त प्रदेशके मध्यम भले ही हो, पर वे आर्य वंशके ही हैं। परिमाणकी खोपड़ीवाले लोग उत्पन्न और उनकी सभ्यता भी उसीवंशके जैसी होगे । इसी तरह गुजरात, काठियावाड़ है।तवर राजपूत और गूजर इसी प्रकारके और विदर्भ आदि देशों में जो लोग हैं, लोग हैं। इनकी वस्तीगङ्गा-यमुनाके प्रदेश में उनके सिर चौड़े हैं: और महाभारतसे है और ये ही लोग जो पागडवों और प्रार्यो- प्रकट होता है कि इन प्रान्तोंमें चन्द्रवंशी के वर्तमान वंशज समझे जाते हैं, सो क्षत्रिय श्राबाद थे। तब यह मान लेना हमारी रायमें भी यही बात है। ये लोग चाहिये कि इन प्रान्तोंके लोगोंके अर्थात शरीरसे खुब मज़बूत और कदमें पूरे ऊँचे चन्द्रवंशी क्षत्रियोंके मस्तकोंका परिमाण होते हैं। इनकी नाक भी ऊँची होती है। चौड़ा रहा होगा। और, यह अनुमान इस कारण इनके आर्यवंशी होनेमें किसी ऊपरके युक्त प्रदेशके निवासियोंके सम्बन्ध- को सन्देह नहीं। हमारी राय है कि खास- के अनुमानसे मिलता है। कर चन्द्रवंशी पायौँमें भारतीय युद्ध शीर्षमापन शास्त्रके सभी परिडतोने हुश्रा था: और इन्हें आर्य सिद्ध करनेके यह बात मानी है कि खोपड़ीका परि- लिए ही हमने ख़ास तौर पर यहाँ विवे- मारण वंशका कोई निश्चित लक्षण नहीं चन किया है। क्योकि कुछ लोगोंकी है। नाकका परिमाण हो घंशका विशेष समझमें हिन्दुस्थानके पश्चिममें भार्य हैं ही लक्षण है । पश्चिमी पार्योंमें भी ऐसे नहीं: यहाँवालोंमें शक जातिका और