पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/१६७

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  • इतिहास किन लोगोंका है। *

पाँचवाँ प्रकरण। ऋग्वेदके भरत और ही हैं। हमारे यहाँ जो भरतखण्ड नाम प्रचलित है, उसके भरत शब्दके विषयमें भी ऐसा ही भ्रम है। इतिहास किन लोगोंका है। आगेके विवेचनसे ये दोनों प्रकारके भ्रम दूर हो जायँगे। हिन्दुस्थानका भरतखण्ड आमने अबतक यह देखा है कि महा- नाम कुछ दुष्यन्त-पुत्र भरतके कारण नहीं - भारतको रचना जिस मुल भारतीय मान- पड़ा। भागवनमें ये वचन हैं:- युद्धके इतिहास पर हुई है, वह भारती प्रियव्रतो नाम सुतो मनोः स्वायम्भु. युद्ध कब हुआ था । अब हमें इस बातका : वस्य ह । तस्याग्नीध्रस्ततो नाभिर्ऋषभस्य विचार करना है कि यह युद्ध किन किन सुतस्ततः अवतीर्ण पुत्रशतं तस्यासीद् लोगोंमें हुआ और यह इतिहास किन- ब्रह्मपारगम् । तेषां वै भरतो ज्येष्ठो नारा- का है। यह तो स्पष्ट ही है कि भारती यणपरायणः । विख्यातं वर्षमेतद्यन्नाना युद्ध कौरवों और पाण्डवोंमें हुआ था। भारतमुत्तमम् ॥ अब हमें इस प्रकरणमें ऐसी ऐसी बातो-: इससे स्पष्ट होता है कि मनुके वंशमें का पता लगाना है कि ये कौरव-पाण्डव भरत नामक राजा हश्रा था, उसीके नाम- हैं कौन: ये लोग यहाँ पाये कहाँसे: ओर से इस देशका नाम 'भारतवर्ष' पड़ा। इनका अन्य लोगोंके साथ कैसा और क्या मत्स्य पुराणमें 'मनुर्भरत उच्यते' यह सम्बन्ध था। तब यह स्पष्ट है कि यह वचन है: और मनुकी ही भरत संज्ञा दी विचार करने में हमें जिस प्रकार महा- गई है। इसी कारण कहा है-वर्ष तत् भारतका प्रमाण देना पड़ेगा, उसी प्रकार भारतं स्मृतम्' (अध्याय ११४) । अर्थात् वैदिक साहित्यका भी आधार लेना मनुसे ही भारतवर्ष नाम निकला है। चाहिये । क्योंकि हम देख चुके है कि हिन्दुस्थान में बाहर जो आर्य लोग आये, भारती युद्ध ब्राह्मण-कालमें हुआ था। उनमें पहले सूर्यवंशी लोग आये और पहले लिखा ही जा चुका है कि पूर्व उनके भरत नामक गजाके कारण इस समयमें कौरवों और पाण्डवोको 'भरत' देशका काम 'भारतवर्ष' पड़ गया। इस. कहते थे, और इसी कारण उनके युद्धकी ' से स्पष्ट है कि ऋग्वेदमें जो 'भरताः' संशा भारतीय युद्ध है । दुष्यन्त और माम आया है, वह सूर्यवंशी क्षत्रिय पार्यों- शकुन्तलाके बेटेका नाम भरत है । यह का है: उन लोगोंका नहीं है जिनमें कि उनका पर्वज था और सार्वभौम होनेके भारती युद्ध हुआ। अतिरिक्त नामाङ्कित था । इस कारण : ऋग्वेदके भरत यानी उसके वंशजोंकी संज्ञा 'भारताः' है। महा-। भारतमें इस नामका प्रयोग दोनों दल- सूर्यवंशी क्षत्रिय । वालोंके लिए किया गया है। भरत नाम- ऋग्वेदके उल्लेखोंसे यह निष्कर्ष से कुछ पाश्चान्य पण्डितोंको भ्रम हो गया निकाला जा सकता है कि जिन भरतोंका है। वे कहते हैं कि ऋग्वेदमें 'भरताः' उल्लेख वेदमें है, वे भरत सूर्यवंशी क्षत्रिय नाम बार बार आता है, कहीं उन्हीं है। मेक्डानल साहब कहते हैं-"एक भरतों और कौरवोंका यो यह युद्ध नहीं महत्त्वके लोगोंका नाम ऋग्वेदमें भरत है। है ? पर हमे स्मरण रखना चाहिए कि वह नाम विशेष करके नीसरे और सातवें