पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/१६१

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  • भारतीय युद्धका समय *

१.३५ अ, आ, इ, ई अक्षर रख दिये गये हैं। मिलता है । महाभारतमें वेध शब्द नहीं हम यह देखेमे कि इस "सर्वतोभद्र चक्र" है: परन्तु श्राक्रम्य, श्रावृत्य, पीड़यन् में, महाभारतके वर्णनानुसार, सात ग्रह इत्यादि शब्दोसे वेधका अर्थ निकलना उन उन नक्षत्रोंमें रखने पर अन्य नक्षत्रोंके- सम्भव है। चक्र और यह स्थिति नीचे विषयमै बतलाया हुअा वेध कैमे ठीक लिखे अनुसार है। सर्वतोभद्र चक्र। ( कार्तिक बदी ३० के दिन महाभारतमें बनलाई हुई ग्रहस्थितिके सहित । ) अक. रोः म. आ. पुनः पु.आ.आ ई अं अभि उपा., पूषा मू.ज्येच अनुम इ __कोई ग्रह अमुक नक्षत्रको पीड़ा दे बड़ी सरलता होती है। पाठकोंको यह रहा है, इसका यही अर्थ होता है कि, वह सहजमें ही मालूम हो सकता है, कि १४ उस नक्षत्र पर है अथवा उस नक्षत्रको नक्षत्रों पर पूर्ण दृष्टि रहती है, (:)) सम्पूर्ण दृष्टिसे, त्रिपाद दृष्टिसे अर्थात् नक्षत्रों पर त्रिपाद और (२४) ७ नक्षत्रों दृष्टिसे अथवा अर्धदृष्टिसे देख रहा है। पर दृष्टि रहती है। इस रीतिसे विचार २८ नक्षत्र मानकर इन दृष्टियोंके नापनेमें किया जाय तो मालूम होगा कि सूर्य-चन्द्र