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महाभारतमीमांसा
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a . . - - - - -- - - ग्लिनीके द्वारा लिया हुआ मेगास्थिनीज़के बाद मिला। इससे यह पास अवतरण। ध्यानमें आ जायगी कि ये बातें कितनी पुरानी हैं। हम पहले बतला चुके हैं "बैंकसके समयसे अलेक्ज़ेडरतक कि इस अवतरणमें बतलाया हुआ हिरा .१५.४ राजाओंकी गणना है और उनके क्लीजका श्रीकृष्ण होना सर्वमान्य है। सज्यकालकी अवधि ६४५१ वर्ष और ३ / परन्तु यह निश्चयपूर्वक नही बतलाया जा महीने है।" सकता कि डायानिसॉस कौन है । तथापि 'अरायनके ग्रन्थका अवतरण। यह कहा जा सकता है कि उसे दाक्षायण ___"हिन्दुस्थानके लोग डायानिसॉस | मनु मान लेने पर, उसके समयसे महा- (बस) के समयसे संडकोटस (चन्द्र- भारत और हरिवंशमें बतलाये हुए श्रीकृष्स गुप्त )तक १५३ राजा और ६०४२ वर्षोंकी नक १५.पीढ़ियाँ होती हैं (श्रादि०अ०७५)। अवधिका होना मानते हैं: परन्तु इस इसलिये कहा जा सकता है कि मेगास्थि- अवधिमें तीन बार लोकसत्तात्मक राज्य नीज़की बतलाई हुई बातके लिये यह एक स्थापित हुना...दूसरी बार ३०० वर्षातक और नया सहायक प्रमाण मिलता है। और एक बार १२० वर्षांतक । हिन्दुस्थान- श्रीकृष्णकी वंशावली हरिवंशमें नों के लोग कहते हैं कि डायानिसॉस हिग-दी ही हुई है। परन्तु वह एक जगह महा- क्रीज़से १५ पीढ़ियों के.पहले हुश्रा था।"भारतमें भी दी हुई है, जिससे मालूम ऊपरके अवतरणोंसे स्पष्ट मालूम | होता है कि दक्षसे श्रीकृष्ण १५वाँ पुरुष होता है कि ईजिप्ट और वैषिलोन देशोंमें है। यह वंशावली अनुशासन पर्वके १४७ प्रॉक लोगोंको मिली हुई बातोकी ही तरह वें अध्यायमें दी गई है जो इस तरह है- ये बातें भी राजाओंके राज्यकालकी १ दक्ष-कन्या दाक्षायणी । २ (विवस्वान् ) वर्ष-संख्या सहित ब्योरेवार थीं। इनमें श्रादिन्य-३मनु-४ इला-५ पुरूरवा- महीनोनकका निश्चित अङ्क दिया हुअा ६ श्रायु-७ नहुष-- ययाति- यदु- है। ऊपरके दोनों अवतरणों में वर्षोंकी १० कोणा-११ बृजिनीवान्-१२ उषंगु- संख्यामे यद्यपि थोड़ा सा फरक है, नथापि १३ शूर-१४ वसुदेव-१५ श्रीकृष्ण । वह महत्त्वका नहीं है. और जो लोक इनमेसे वृजिनीवान और उषंगु ये नाम सत्ताक राज्य स्थापित होनेकी बात कही हरिवंशमें नहीं हैं। उनके बदले देवमी- गई है, उसे बहुधा अगजक-काल सम- दुष नाम है। आदि पर्वके ७६ वें अध्याय- भना चाहिये। के श्रारम्भमें ययाति प्रजापतिसे १०वाँ महाभारतमें अथवा अन्य पूर्वकालीन पुरुष बतलाया गया है। उसे स्वयं ब्रह्म- ग्रन्थों में प्राचीन राजाओंका राज्य वर्ष- देवसे मानना चाहिये । ब्रह्मदेवसे प्रचेताः संख्या-सहित उल्लेख कहीं नहीं है । और उससे दक्ष प्राचेतस हुए। दक्षका इससे यह पाया जाता है कि चन्द्रगुप्तके प्रजापति नाम होनेके कारण यहाँ ऐसा समयमें प्राचीन राजाओंकी राज्य-वर्ष- संशय उत्पन्न होता है। इसके आधार संख्या-सहित अलग वंशावली रही होगी: पर भी यह बात निर्विवाद सिद्ध होती है और इन बातोंको मेगास्थिनीज़ने उसके कि मेगास्थिनीज़को असली बातों का ज्ञान आधारपर लिखा होगा। हम पहले बनला महाभारतकालीन पण्डितोंके द्वारा हुआ चुके हैं कि महाभाग्नको अन्तिम रूप | था। इस कारणसे उसकी बतलाई हुई