पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/११६

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महाभारतमीमांसा

ॐ महाभारतमीमांसा # - करना है। पहले हम समस्त ज्योतिषियों- अत्यन्त प्राचीन कालसे, लोकमतके अनु. के मतसे तथा साधारणतःसमस्त श्रास्तिक सार, भारतीय युद्ध के समयमें, कलियुगके, हिन्दुओंके मतसे निश्चित माने हुए भार- प्रारम्भमें और श्रीकृष्णके समयमें दृढ़ तीय युद्धके समयका और उस पर किये सम्बन्ध और एकता पाई जाती है । आनेवाले आक्षेपोंका विचार करेंगे। अर्थात् , कलियुगका प्रारम्भ-काल और श्रीकृष्णका समय बतला देना ही भार- भारतीय युद्ध और कलियुगका तीय युद्धका समय बतलाना होगा। आगे प्रारम्भ । दिये हुए विवेचनसे यह मालम हो सकेगा हम बतला चुके हैं कि यह कल्पना कि इन तीनों बातोंका समय भिन्न भिन्न महाभारतमें ही दी हुई है कि कलियुगका रीतिसे एक ही ठिकाने कैसे आता है। प्रारम्भ भारतीय युद्धसे हुआ । "प्राप्त कलियुगं विद्धि" इस वचनके सिवा, महा श्रीकृष्णका समय। भारतमें, और भी दो तीन वचन हैं। ___ श्रीकृष्णका समय निश्चित करनेके वनपर्वमें भीममारुति-सम्बादमें कहा गया लिये हमें बाह्य प्रमाणका एक महत्त्वपूर्ण साधन मिलता है। हिन्दुस्थानमें आये पतत्कलियुगं नाम अचिराद्यत् प्रवर्तते। हुए मेगास्थिनीज़ने श्रीकृष्णके सम्बन्धमें "शीघ्र ही जिसका प्रारम्भ होगा वह अत्यन्त महत्वकी वाते लिख रखी है । यह कलियुग है।" राजदूत हिन्दुस्थानमें चन्द्रगुप्तके दरयारमें आदिपर्वके प्रारम्भमें ही कहा गया है सेल्यकस नामक ग्रीक राजाकी ओरसे कि भारतीय युद्ध कलियुग और द्वापरकी रहता था। उसने यह लिख रखा है कि- संन्धि हुआ। "संडकोटस और डायानिसॉसके बीच में अन्तरे चैव सम्प्राप्ने कलिद्वापरयोरभूत् । ३५३ पीढ़ियाँ और ६०४२ वर्ष हुए। हिरा- स्वमन्तपञ्चके युद्धं कुरुपाण्डवसेनयोः ॥ क्लीज़, डायानिसॉससे, १५ पीढ़ियोंके तात्पर्य यह है कि कलियुगारम्भमे बाद हुआ।" उसे हिन्दुस्थानमें चन्द्रगुप्त- भारतीय-युद्धके होनेकी कल्पना महा- के समयमें जो बातें मालुम हुई उन्हींके भारतकार सौतिके समयमें,अर्थात् ईसवी आधार पर उसने यह बात लिखी है। समके लगभग ३०० वर्ष पहले, पूरी पूरी ग्रीक लोगोंने भविष्यके इतिहासकारों पर प्रचलित थी; यानी यह कल्पना लगभग यह बड़ा उपकार किया है, कि वे जिस २२०० वर्षसे आजतक यहाँ प्रचलित है। जिस स्थानमें गये वहाँ वहाँ उस समय- मालूम होता है कि इस विचारको उत्पत्ति की प्रचलित ऐतिहासिक बातोंको एकत्र इन कारणोंसे हुई होगी, कि भारतीय- करके उन्होंने लिख रखा है । उन्होंने इसी युद्धमें नीतिधर्मरहित अनेक भयङ्कर काम | तरहसे इजिप्ट देशमें भी ऐतिहासिक हुए, पाण्डवोंके समयसे हिन्दुस्थानकी सामग्री हूँढकर राजाओंकी पीढ़ियोंका धार्मिक और साम्पत्तिक सुस्थितिमें दिनों-हाल लिख छोड़ा है। उन्होंने बैबिलोनकी दिन क्षीणता आने लगी और श्रीकृष्ण पीढ़ियोंका भी हाल लिख रखा है । पहले परमात्माके पृथ्वीको छोड़कर चले जाने- कुछ दिनोंतक ये बातें स्थूल और अविश्वस- के समयसे हिन्दुस्थानकी दुर्दशा तथा नीय समझी जाती थीं, परन्तु मेसोपोटे- अवनति होने लगी। सारांश यह है कि मियाँमें अाजकल जो इष्टिका-लेख, अर्थात्