पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/११३

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ॐ क्या भारतीय युद्ध काल्पनिक है * - समस्त पञ्चनद देश एक ही राजाके शामिल किया जाना सम्भव नहीं है। अधीन हो । प्राचीन समयमें हिन्दुस्थानमें इसके सिवा यह भी प्रकट है कि एक बड़े बड़े राज्य नहीं थे। कुरु लोगोंके स्त्रीके साथ पाँच पुरुषों के विवाह पक्षमें हस्तिनापुरके राज्यके समान ही भरत जो अनेक कारण महाभारतमें बतलाये खोगोंका एक छोटासा राज्य पजाबमें गये हैं, वे किसी तरहसे इस बातका होगा, अतएव इस कल्पनामें भी पञ्जाबके समर्थन करनेके लिये दिये गये हैं और साम्राज्यका ही उल्लेख स्वीकृत करना यह प्रयत्न पीछेसे किया गया है । अतएष पड़ता है। सारांश यह है कि पञ्चनद यही कहना चाहिये कि पाण्डवोंकी कथा शब्दके आधारपर यूरोपियन पण्डितोंने मूल भारतकी है और उनके चमत्कारिक झो शङ्काएँ की है और उस शब्दकी सहा- विवाहका समर्थन पाछेसे किया गया है। यतासे जो कल्पनाएँ की हैं, वे युक्ति और इस प्रकार विचार करनेपर यह कल्पना प्रमाणकी दृष्टिसे स्थिर नहीं रह सकती। ठीक नहीं अँचती कि पाण्डवोंको कथा इससे भी भिन्न उत्तर यह है कि पीछसे शामिल की गई है। भारतको महाभारतका स्वरूप देते समय यह कथन भी एक प्रकारस खे- पाण्डवोंकी कल्पित अथवा प्रचलित कथा- सिर-पैरका जान पड़ता है कि मूल युद्ध को पीछेसे शामिल कर देनेका कोई भारत और कुरु लोगोंमें हुआ था। प्रयोजन नहीं देख पड़ता। जिस समय : इसका कारण यह है कि किसी वैदिक महाभारतकी रचना की गई उस समय, साहित्य-ग्रन्थमें अथवा अन्य ग्रन्थों में अर्थात् ईसवी सन्के पहले ३०० के अन- यह नहीं देख पड़ता कि भारत और न्तर (महाभारतकी यही काल-मर्यादा कुरु, ये दो नाम भिन्न भिन्न लोगोंके हैं। पश्चिमी और पूर्वी सब विद्वानोंको मान्य भरतके वंशजोंको भारत कहते हैं और है), पाण्डवोका कोई राज्य प्रसिद्ध इस दृष्टिसे भारत शब्दका उपयोग नहीं था। उस समयके इतिहाससे किसी कौरवोंके लिये भी किया जाता है। यह पाण्डव-राज्यका अस्तित्व या प्रधानता शब्द भरतके सभी वंशजोंके लिये उपयुक्त नहीं देख पड़ती। ऐसी दशामें, जिस है: यहाँतक कि ब्राह्मणकालमें भारत महाभारत-ग्रन्थकी रचना सनातन हिन्दु शब्दका उपयोग समस्त आर्य वीरोंके धर्मकी रक्षाके लिये की गई है उसमें, लिये किया हुआ देख पड़ता है। उस किसी रीतिसे समाजके नेता न माने समय यह नहीं देख पड़ता कि भरतके गये और अत्यन्त अप्रसिद्ध पाण्डवोंको वंशज किसी भिन्न नामसे अर्थात् भारतके शामिल कर देनेकी बुद्धि किसी राष्ट्रीय नामसे प्रसिद्ध थे। 'महाभारत' अथवा कविको नहीं होगी। इसके सिवा यह ! 'भारत' नाम युद्धका क्यों रखा गया, भी है कि यदि प्राचीन भारत और कुरु इसका एक कारण यह बतलाया जा लोगोंकी कथा होती, तो जो कथा सर्व सकता है कि कौरव और पांडव दोनों साधारणमें आदरणीय होकर राष्ट्रीय हो भारत-वंशके थे। इसलिये दोनोंको लक्ष्य चुकी थी, उसीको कायम रखनमें कौन सी कर भारत नाम रखा गया है । यहाँ आपत्तिथी?हर एकमनुष्य स्वीकार करेगा तक कि पांडवके प्रधान सहायक कि उसी कथाका कायम रखा जाना 'पांचाल भी भारत-बंशके थे। कुरु- था। इस प्रकार पाण्डवोकीकथाका पीछेसे । पांचालोकी महत्ता ब्राह्मण-भागोंमें बार