आश्रमकी डाक मिस बार काफी बड़ी थी। बच्चोंक पत्रोंमें अनके अगते- खिलते मनोंके सुन्दर चित्रण आते हैं । दिल्ली में कांग्रेसका अधिवेशन करनेके बारेमें सरदार चिन्तित हैं । सरदारने कहा "नाहक लोगोंके मन डोलेंगे । अधिवेशन होगा तब लोग बहुतते करनेके काम छोड़ बैठेंगे । ढीले आदमी कुछ न कुछ तर्कवितर्क करने लग जायेंगे और यह प्रचार करेंगे कि मालवीयजी कांग्रेसका अधिवेशन कर रहे हैं, अिसलि असमें कुछ न कुछ होगा। कुछ लोग व्यर्थ दिल्ली जाने तक सब बातें मुलतवी रखेंगे । अिसमें मुझे लाभ नहीं, हानि दिखाओ देती है ।" बापूने कहा "नुकसान तो हरगिज नहीं है । यह विचार सुन्दर है कि जो कांग्रेस ४७ वर्षसे कभी नहीं की, असे बन्द नहीं होने देना चाहिये, कांग्रेस होनी ही चाहिये । अिस कल्पनामें ही कुछ न कुछ है। वैसे असमें कुछ होना जाना नहीं है । असे करनेमें कुछ लोग पकड़े जायेंगे । मालवीयजीका पकड़ा जाना अच्छी बात है ।" वल्लभभाभी मगर मालवीयजी हैं, वे २४ अप्रैलको बदलकर अक महीना आगे भी बता दें । वैसे वे पकड़े जाय, तो वंशक अच्छा है।" खेहे तरफ़के पत्रोंसे मालूम होता है कि देहात जिस बार भी काफी कष्ट झुठा रहे हैं, खूब सहन कर रहे हैं । बारडोलीको हमेशा गरमी चाहिये । बोरसदने यह बता दिया है कि वह किसीकी गरमीके बिना भी जूझ सकता है । यापूको दूध छोड़े दो महीने हो गये । जैसा कहते हैं कि तबीयत अच्छी है। मगर यह भी बताते हैं कि यकावट मालूम होती है। हाँ, दूधके बजाय बादाम माफिक आये यह जरूर कहा जा सकता है । आज तीन सेर वादाम यहाँकी बेकरीकी भट्टीमें भूज डाले । छिलके तो नहीं अतरे । बापूको धारणाके अनुसार अफ्रीकामें मुंगफली अिसी तरह भट्टीमें अच्छी भुनती थी और छिलके सुतर जाते थे। खैर, छिलके न निकले और पीसनेमें कुछ ज्यादा समय लग गया। फिर भी मक्खन जैते चिकने तो नहीं हुमे । हाँ, सिके बहुत अच्छे । आज बापने आश्रमके पारेमें लिखाया असमें बताया है कि करना मैंने पश्चिममें सीखा ।" कल वल्लभभाभी हँसते हँसते कहने लगे " मगर प्रयोग क्या मरते दम तक करते रहे ?" बापू बोले - " हाँ, मेरे प्रयोग तो जारी ही "खुराकके रहेंगे ।". आज कैम्प नेलसे बहनोंका पत्र आया । असमें गंगाबहन, ताराबहन,. तारादेवी, ज्योत्स्ना शुक्ल, अमीना, चंचलबहन, वसुमति और तीन महाराष्ट्री
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