1 बानता है, वह कुछ नहीं जानता । जो यह मानता है कि वह कुछ नहीं जानता, असे यथासमय शान हो जाता है । भरे हुओ घड़ेमें गंगाजल डालनेकी सामर्थ्य ओबरमें भी नहीं है। मिसलिये हमें ओश्वरके पास रोज खाली हाथ ही खड़े होना है। हमारा अपरिग्रह भी यही बताता है । अब बस ! मुझे लिखना हो तर लिग्यो । कागज दे देंगे।" आज पावन पत्र आश्रमको और अनके सिवा सात-आठ और लिखे । सेन्युअल हारकी पुस्तक 'दि फोर्थ सील 'मेंसे ग्रांड डचेस अलिजावेथका चित्र मन आश्रमके लिझे भेजा । फुटकर खतोंमें कुछ मजेदार खत थे । ओक आदमीने पूछा " सच बोलनेसे किसीके प्राण जाते हों और झुठ बोलनेसे न जाते हों, तो सच बोलना चाहिये या झूठ?" वापूने असे लिखा सत्य जहाँ प्रस्तुत हो, वहाँ कोओ भी कुर्बानी करके असे कहना चाहिये ।" अक अमरीकीने लिखा कि अगर आप मिस शर्त पर छूटना चाहते हो कि आप भीसाके सिद्धान्तोंका हो प्रचार करनेमें समय लगायेंगे, तो आपको ब्रिटिश सरकारसे तुरत छुड़ा हूँ । अिसं भी बाध्न अत्तर देनेका कट अठाया : "I thank you for your letter. My answer to your first question is that I would not like anybody to get me out, and certainly no: on any condition. I cannot give up, for any consideration whatsoever, what I regard as my life's inission." " आपके पत्रके लिअ आभारी हूँ। आपके पहले सवालंके जवाबमें मेरा कहना है कि मुझे यह पसन्द नहीं है कि कोसी मुझे छुपाय | फिर कोभी गत मानकर तो में छूटना चाहता ही नहीं। जिसे मैंने अपने जीवनका अक धनं कार्य माना है, असे किसी भी पुरस्कारके लोभसे नहीं छोड़ सकता। अंक अमरोसीका अच्छा खत आया था। वह पहले नास्तिक था, यादमें संन वजेटमें रहा -धर्मको ग्पातिर विरोध करनेवालेके रूप-और आस्तिक पन गया । शिर झुमने क्रिश्चियन मापन्सक वारेमें पा | अससे अमकी श्रद्धा जग मे भिम पंयवाले. गांधीजी की हलचलेके बारेमें चुप रहते हैं। अपने अव्या मिश्रित मात्राम्यवादका दी ममर्थन करते है। मिश्चियन सायन्सके गांगमने यापूर्वी गय पृ। याने असे लिया : "!!!.,.:::iny Christian Science friends. Some of th:-17.c.: :ne fry. Eddy's works. I was never able in ::71:.... I did wever clance through them. T.::J: 1:13: %: Jucere !!npresion the friends ho sent
- ...?!!!d. i 117.1 lar: fro:n childhood
!;<?!!!.!... C'modile .oundries of the teaching