. - युद्धमें हारे हुओ और कैदी बने हुओ सेनापतिकी तरह वह मेरे सामने खड़ा था । वह अपने खयालसे पूरी तरह गौरवपूर्ण व्यवहार कर रहा था। असने अपने किसी मित्रको नहीं फंसाया ।" जब असे मौतकी सजा सुनामी गयी, तो अदालतसे असने सवाल पूछा- "यह न्यायकी अदालतका फैसला है या फ़ौजी खयालसे दिया हुआ हुक्म है ?" जब गोलाबारी करनेवाला दल आ पहुँचा, तब असने वरफ पर पैरके अंगूठेसे लिखा- ." अंतिम नमस्कार । " बादमें असने सिगार सुलगाया और मौतसे मुलाकात करनेको तैयार हो गया। जजने स्वीकार किया "अिस सारे समय असने वीरकी तरह बर्ताव किया।" " जल्लादके सामने भी ?" “भिसमें कोभी शक है ?" असकी मौतके समाचार मॉस्को पहुँचे, तो वहाँका अक रास्ते चलनेवाला असके बारेमें कुछ अपमानजनक शब्द बोल दिया । दूसरा राहगीर अस पर तड़ककर बोला ." तुम्हें कोलचेकके लिओ भद्दी बात न कहनी चाहिये । वह हमारे साथ लड़ा और हमें असे मार डालना पड़ा । मगर वह अक बढ़िया आदमी था ।" गृहयुद्ध के दौरानमें किये गये जुल्मोंके बारेमें अस पर निराधार आक्षेप किये गये, तब अन्हें रद्दी करार देते हु लेनिनने कहा था "कोलचेकको दोष देना मूर्खता है । यह प्रजातंत्रका बेहूदा बचाव कहा जायगा । जो साधन असे मिले, अन्हीसे कोलचेकने काम लिया ।" भिसके बाद वह रूसके ग्रांड डयूक सर्जकी पत्नी और हेस डार्मस्टाट (जर्मनी) की राजकुमारी अलिजावेथका जो वर्णन करता है, वह अपूर्व सौन्दर्यसे भरा है । असका बाप, हेस डार्मस्टाटका चौथा ग्रांड ड्युक, जर्मन था और माँ अंग्रेज --सिंग्लण्डकी रानी विक्टोरियाकी लड़की राजकुमारी अलिस थी। असके मातापिताका जीवन सुन्दर, सरल और निर्मल या । माँवापने असमें राजघरानेके बजाय अफ मुगील कुटुम्बके संस्कार डालनेकी कोशिश की थी। वे कुल चार बहनें थीं । अनमेंसे अलिजावेथ सन् १८८४ में रूसके ग्रांड डयूक सर्जसे व्याही गयी और छोटी बहन जार निकोलसने व्याही गयी । ग्रांड डयूक जारका चना होता था । अलिजाबेथने सेम्युअल होर दो बार मिला था : ओक बार जब ग्रांट इयूक मर्ज मॉस्कोका गवर्नर या तब मॉस्कोकी रानीके रूपमें और दुसरी बार भिक्षुणीकी हैसियतसे, भेक मठको अध्यक्षा या कुलमाताके में । " प्रोट डचेससे मिलकर बाहर आने पर मुझे लगा कि असमें मुझे फेवर अक मंतके ही नहीं, बल्कि ओसामी समाजकी बड़ी सेवा करनेवाली अंक .
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