पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/४९

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बापू बोले मैंने कहा- बापू कहने लगे- 'निवटा दिया और अससे मुझे परम सन्तोष है । अब भीश्वर जैसा सुझाता है, वैसे काम करता जा रहा हूँ।" "मिन वाक्योंमें विवेक पूर्वक यह बता दिया है कि अब मेरा और आपका रास्ता अलग अलग है। "जिस प्रकरणके बारेमें होगा, लेकिन वे यह कहना चाहते हैं कि झुनका सत्याग्रहका तरीका ही दूसरा है ।" यह साफ है। कोमलसे कोमल भाषा अध्याहारकी होती है और अन्होंने अध्याहारकी भाषा काममें ली है। यह कह कर अन्होंने अस स्वागतका बड़ा मजेदार हाल सुनाया, जो किसी अहमदाबादीने किया था। वे मैट्रिककी परीक्षा अहमदाबाद गये थे, तब अपने बड़े भाभीकी सलाहसे झुस गृहस्थके यहाँ ठहरे थे । यह भाी लेने आये, गाड़ीमें अपने घर तक आये और फिर मुझे छोड़- कर घरमें चले गये । भाड़ा कोन दे ? मैंने तो अस गाड़ीवालेसे पूछा और भाड़ा दे दिया । मेरे भाड़ा दे देनेके बाद वे भाभी वापस आये । अन्होंने अध्याहारकी भाषा अिस्तेमाल की थी। उनके घरमें कंजुसीकी और तरहसे भी हद न थी । लेकिन मुझे छुड़ानेके लिभे ही द्वारकादास पटवारी आये और अपने घर ले गये ।" मैंने अपना अक ताजा अनुभव बयान किया । बापू बोले. तुम्हारा अनुभव मुझसे भी बढ़कर है।" 1 << 'ट्रिब्यून में 'डेली टेलीग्राफ' के सम्बाददाताका पेशावरके विषयमें लेख है । असमें बेहयाीके साथ पेशावरको किस तरह दबा दिया गया जिसका खुला वर्णन है । बापू कहने लगे. “ जिसमें हमारा सारा मामला आ जाता है । वे कबूल करते हैं कि आतंक जमा देनेके सिवा अन्होंने कोभी रास्ता अख्तियार ही नहीं किया ।" बेल्सफोडका 'न्यू लीडर में अच्छा लेख था । हिन्दुस्तानकी परिस्थितिका असने प्रत्यक्ष चित्र खींचा है । ' ट्रिब्यून में वेन्यलके गश्ती पत्र पर और अिकवालके मुस्लिम परिषदके भाषणपर खुब लेख थे। ये लेख देखकर बापूने अक दो वार कहा " विचार प्रगट करनेवाला (views paper) सबसे अच्छा पत्र ट्रिब्यून' है । खबरें देनेवाला (news paper ) सबसे अच्छा अखबार 'हिन्दू' है । 'ट्रिब्यून' वाला अपने अगाध अनुभवसे जिस तरीके पर सब चीजें समझता है और सुनका पृथक्करण करता है, वह दूसरे सबसे बढ़कर है ।" 6 .