पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/४७

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The battles they are fighting are not of such a spectacular character, but demand a courage and a devotion not inferior to that which Gandhi exhibits in his political contest with the British Empire." " हमें यह बात भूल जानी चाहिये कि अक अीसामी धर्म ही असा है जो अच्छे आदमी पैदा कर सकता है । सवाल तो यह है कि किसी भी दूसरे धर्मके अत्तमोत्तम व्यक्तियोंसे ीसाी धर्मके अत्तमोत्तम व्यक्ति बढ़कर हैं या नहीं ? मैं मानता हूँ कि जरूर है । मैं जैसा मीसामी हूँ अससे गांधीजी ज्यादा अच्छे हिन्दू हैं, यह मैं जरूर कहूँगा । जिसका अर्थ अितना ही है कि मैं अपने धर्मका जिस तरहसे पालन करता हूँ, अससे गांधीजी अपने धर्मका ज्यादा अच्छी तरह पालन करते हैं । सम्भव है कि हिन्दू धर्म जितना बॅचेसे झूचा आदमी पैदा कर सकता है अतने झूचे वे हैं, जब कि मैं मीसामी धर्मका बहुत कमजोर प्रतिनिधि माना जा सकता हूँ। मगर हमारे सामने सवाल यह नहीं है। मेरे जैसे जीसाीकी गांधी जैसे हिन्दुके साथ तुलना करके ीसाी और हिन्दू धर्मका मुकाबला करना बिलकुल अचित नहीं है । असली सवाल तो यह है कि जीसामी धर्मका और हिन्दु धर्मका अच्छीसे अच्छी तरह पालन करनेवालोंमें किस धर्मवाला बढ़कर होगा ? अगर हम यह कहते हैं कि सीसामी धर्मवाला बढ़कर नहीं हो सकता तो हम. सबको हिन्दू धर्म अंगीकार करना चाहिये । अगर हिन्दू धर्मका पालन करनेसे व्यक्ति जिस दर्जे तक पहुँच सकता है कि खुद भीसा मसीहके साथ उसकी तुलना हो सके, तो फिर हम हिन्दुओं को श्रीसाी बनाने की कोशिश किस लिये ? " गांधी महात्मा हैं, जिस बातसे अिनकार करनेका मेरा आशय. नहीं है । मैं मानता हूँ कि वे महात्मा हैं । परन्तु मैंने जो कुछ पढ़ा है अस परसे मैं निश्चयपूर्वक कह सकता हूँ कि असे अनेक ीसाी महात्मा हो गये हैं, जिन्हें गांधी नहीं पहुँच सकते । मैं तो अच्छी तरह मानता हूँ कि आज भी ीसामी सम्प्रदायमें गांधीसे बढ़कर अनेक महात्मा मौजूद हैं; फर्क अितना ही है कि झुनके महात्मापनकी अितनी जाहिरात नहीं हो पायी । ये लोग जो लड़ाअियाँ लड़ रहे हैं वे जिस किस्मकी हैं ही नहीं कि लोगोंकी नजरमें आयें। वैसे ब्रिटिश साम्राज्यके साथ राजनीतिक लड़ाभी लड़नेमें गांधी जो हिम्मत और निष्ठा बता रहे हैं, अससे अिन लोगोंकी हिम्मत और निष्ठा जरा भी नीचे दर्जे की नहीं है।" यह कह कर वह अण्ड्रयूज और होम्स जैसे अीसाअियोंकी कड़ी आलोचनाः करता है कि अन्होंने गांधीजीकी श्रीमाके साथ तुलना करके दुष्ट मूर्तिपूजाका दोप अपने सिर ले लिया है। ४२