पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/४१५

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आपका और किसीके खड़े रहनेकी गुंजायश नहीं है, वहाँसे झुतरनेकी मैं आपको सलाह देता हूँ। आपके लिओ प्यार और प्रार्थना करता हुआ, मो. क. गांधी को लिखाये "मैं तुम्हारी तरह हारकर नहीं बैठता । परन्तु कड़ेसे. कड़े दिलको भी भीश्वर कृपासे पिघलानेकी आशा रखता हूँ और अिसलिओ प्रयत्नशील रहता हूँ " P अिति शम्